बाढ़ के मद्देनजर शाहपुर गंगपुर गौशाला से दूसरी गौशाला भेजा गया
कई बीमार पशु सडक़ पर तड़पते रहे, तीन पशु रास्ते से हो गये गायब
परिवहन की सुविधा नहीं उपलब्ध कराई गई, १५ किलोमीटर ले जाया गया पैदल
कंपिल, समृद्धि न्यूज। प्रशासनिक लापरवाही एक बार फिर निरीह जानवरों पर भारी पड़ी। कंपिल क्षेत्र में बाढ़ की आशंका के बीच शाहपुर गंगपुर गौशाला से लगभग 350 गोवंशों को पहाड़पुर स्थित गौशाला में स्थानांतरित किया जाना था, लेकिन इस प्रक्रिया को इतने अव्यवस्थित और अमानवीय ढंग से अंजाम दिया गया कि कई गोवंश रास्ते में ही गिर पड़े और कुछ को सडक़ पर ही तड़पने के लिए छोड़ दिया गया।
वाहन की व्यवस्था न होने से गोवंशों को कच्चे, उबडख़ाबड़ रास्तों से लगभग 15 किलोमीटर पैदल ले जाया गया। तेज धूप, गर्मी और थकावट की वजह से कई गोवंश थककर गिर गए तथा कुछ घायल हो गए और कर्मचारियों द्वारा उन्हें वहीं छोड़ दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार सडक़ों और खेतों के किनारे छोड़े गए कई बीमार गौवंश को आवारा कुत्ते नोंचते पाए गए। स्थानीय लोगों ने खुद पहल कर उन्हें पानी पिलाया और छाया में पहुंचाने का प्रयास किया। इस दौरान सैकड़ों गोवंश इधर-उधर भटक गए और खेतों में घुसकर खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया। बिहारीपुर निवासी बड़े पाल के 10 बीघा मक्के की फसल और गिरजा शंकर की 4 बीघा गेहूं की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकांश जानवरों के कानों में सरकारी गौशाला के टैग लगे थे। जिससे साफ है कि यह आवारा पशु नहीं थे, बल्कि प्रशासन की जिम्मेदारी में पाले जा रहे थे। प्रशासन ने पहले सभी गोवंशों को सुरक्षित स्थान पर भेजने का दावा किया, लेकिन जब ग्रामीणों ने स्थिति उजागर की तो खंड विकास अधिकारी ने फोन पर तीन बीमार गोवंशों के रह जाने की बात स्वीकार की। अधिकारी ने बताया कि उन्हें चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि गौशाला में पशुओं की जिंदगी की कितनी अहमियत है। क्या पर्याप्त बजट के बावजूद परिवहन की सुविधा नहीं दी जा सकती थी, क्या जानवरों को भी सुरक्षित और मानवीय व्यवहार का अधिकार नहीं है, क्या सरकारी दावे केवल कागजों तक ही सीमित रहेंगे। खंड विकास अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया सभी गौवंश को पहाड़पुर स्थित गौशाला में भेज दिया गया है। सिर्फ तीन गौवंश छूट जाने की जानकारी मिल रही है। चिकित्सक को मौके पर भेज कर इलाज कराकर उन्हें भी गौशाला भेज दिया जाएगा।
योगी सरकार में निरीह व बीमार गौवंशों की दुर्दशा पर उठे कई सवाल
