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पंचकोशीय विकास ही भारतीय शिक्षा का मूल आधार: हेमचन्द्र

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। विद्या भारती कानपुर प्रान्त द्वारा आयोजित दस दिवसीय नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के पंचम दिवस के प्रथम सत्र में प्रमुख मार्गदर्शक हेमचन्द्र ने सर्वांगीण समग्र विकास की कल्पना विषय पर गहन उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में रजनीश, अयोध्या प्रसाद मिश्रा, विजय अवस्थी, गौरव अग्रवाल, संजीव चौहान आदि ने दीप प्रज्वलित कर प्रथम सत्र का शुभारम्भ किया।
हेमचन्द्र ने कहा कि शिशु का पंचकोशात्मक विकास ही हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली का मूल उद्देश्य है। यह पांच कोश हैं: अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय तथा आनंदमय है। उन्होंने कहा कि शारीरिक विकास हेतु अन्नमय कोश, प्राण ऊर्जा के संतुलन हेतु प्राणमय कोश, चित्त व मानसिक स्थिरता हेतु मनोमय कोश, विवेक व निर्णय क्षमता हेतु विज्ञानमय कोश और आत्मिक शुद्धता हेतु आनंदमय कोश का विकास आवश्यक है। प्रशिक्षणार्थियों ने सत्र को गहरी रुचि से ग्रहण किया और विषय की वैज्ञानिकता व आध्यात्मिकता को आत्मसात करने का संकल्प लिया। आलोक दीक्षित ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण वर्ग के दिन की शुरुआत 6 बजे योग व्यायाम की कक्षा से होती है। 9 बजे से दोपहर 12बजे तक वैचारिक व सैद्धांतिक सत्र रहते हैं। इस वर्ग में कानपुर प्रांत से 68 प्रशिक्षार्थी उपस्थित हैं। प्रशिक्षण वर्ग का समापन 30 जून को होगा। इस अवसर पर अजय द्विवेदी, शिवकरन, शिवसिंह, आकाश श्रीवास्तव, रामकृष्ण बाजपेई, श्रीनारायण मिश्र, आशीष दीक्षित, रत्नेश अवस्थी, ओमप्रकाश शुक्ला, धर्मवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।

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