राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने एक मंच पर आकर राजनीतिक एकता का संकेत दिया
समृद्धि न्यूज। महाराष्ट्र की सियासी मिट्टी में शनिवार को एक बार फिर ठाकरे परिवार का सूरज उगा। जहां नया राजनीतिक सूत्र लिखा गया। कभी बालासाहेब के दो मजबूत स्तंभ कहलाने वाले ठाकरे ब्रदर्स यानी उद्धव और राज के रास्ते 2006 में अलग हो गए थे, लेकिन अब दोनों फिर एक साथ खड़े हो गए हैं। ऐसा लग रहा था जैसे किसी सियासी स्क्रिप्ट राइटर ने उनके मिलन को मराठी गौरव की कहानी में पिरो दिया हो। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे करीब बीस साल की तल्खियों को भुलाकर एक मंच पर गले मिले। बीस साल में तकनीक बदल जाती है, शहर बदल जाते हैं, चेहरे बदल जाते हैं, संदर्भ बदल जाते हैं, पर बदलाव की इस आंधी में रिश्ते कई बार बच जाते हैं।
अब 2025 में दोनों भाइयों का कहना है कि हम साथ-साथ हैं। दोनों भाइयों का झगड़ा जरूर हिंदी से है, लेकिन दोनों की कहानी किसी बॉलीवुड की हिंदी फिल्म की तरह ही है। जहां दोनों भाई पार्टी पर कब्जे और वर्चस्व की जंग के कारण अलग हुए थे, आज हिंदी के विरोध में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों एकजुट हुए हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ ये एकता हिंदी के विरोध में है या फिर इसके पीछे गहरी गणित है।
1988 में बालासाहेब के भतीजे राज ने राजनीति में प्रवेश किया था। बालासाहेब के बेटे उद्धव भी पार्टी की जनसभाओं में बालासाहेब और राज के साथ जाते तो थे, लेकिन तस्वीरें खींचने में मशगूल रहते। 1992 के बाद से उद्धव ने भी सक्रिय तौर पर शिव सेना के लिए काम करना शुरू किया। उद्धव शालीन और शांत स्वभाव के माने जाते थे, जबकि राज को चमक-दमक पसंद थी और वे अपने चाचा बालासाहेब की तरह गर्म मिजाज के थे। राज को शिव सेना की छात्र इकाई भारतीय विद्यार्थी सेना का प्रमुख बनाया गया था। उन्हें मराठी युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए खड़ी की गई शिव उद्योग सेना का भी प्रभारी बनाया गया, जिसने 1995 में पॉप स्टार माइकल जैक्सन को एक शो करने के लिए मुंबई आमंत्रित किया था।