फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की पहली एमपीसी बैठक में एक लंबे अंतराल 5 वर्षों के बाद रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत से घटा के 6.25 प्रतिशत करने की घोषणा करके देश के आर्थिक विकास को और आगे बढ़ाने का प्रयास किया है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत व भूतपूर्व अर्थशास्त्र के मेधावी छात्र मुकेश गुप्ता ने बताया कि रेपो रेट वह दर होती है जिस दर पर भारतीय रिजर्व बैंक (केंद्रीय बैंक) कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है और फिर उस पैसे को ये कमर्शियल बैंकें जनता में लोन के रूप में देतीं हैं। इस प्रकार अब इन कमर्शियल बैंकों को कम ब्याज दर पर लोन मिलने से ये कमर्शियल बैंकें अपने ग्राहकों को भी पहले से कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगी। इस प्रकार इस ऋण की ईएमआई पहले से कम होने के कारण लोग बैंकों से अपना होम लोन और उपभोक्ता लोन ज्यादा लेंगे। जनता द्वारा ज्यादा उत्पाद खरीद करने के कारण हमारे देश में उपभोग बढ़ेगा, जब खपत बढ़ेगी तो स्वाभाविक है कि औद्योगिक उत्पादन की मांग में भी वृद्धि होगी और फिर हमें अपना उत्पादन भी बढ़ाना पड़ेगा। इस पूरे चक्र से कमर्शियल बैंकों को हमारे उद्योग धंधों को और उपभोक्ताओं को सभी को फायदा होगा तथा बेरोजगारी भी कम करने में मदद मिलेगी। आरबीआई गवर्नर ने वित्तीय वर्ष 25-26 के लिए देश का जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7 प्रतिशत अनुमानित किया है। अभी केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए देश के बजट में भी आयकर में भारी बदलाव करके देश में उपभोग को बढ़ाने का प्रयास किया है। इस प्रकार अंत में हम कह सकते हैं कि इस मौद्रिक नीति से भविष्य में हमारे देश के आर्थिक विकास पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
आरबीआई ने रेपो रेट को घटाकर आर्थिक विकास को दिया बढ़ावा: मुकेश गुप्ता
