- यूपी में शरणार्थियों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक
- 20 हजार परिवार काबिज 50 हजार एकड़ जमीन पर
- सरकार कानून में बदलाव की तैयारी में जुटी
लखनऊ, समृद्धि न्यूज। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान से आए हजारों हिंदू और सिख शरणार्थियों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अब एक ऐतिहासिक निर्णय लेने की तोयारी कर रही है। लखीमपुर खीरी, रामपुर, बिजनौर और पीलीभीत जैसे जिलों में बसाए गए इन शरणार्थियों को अब उत्तराखंड की तर्ज पर जमीन का पूर्ण मालिकाना हक संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिए जाने की तैयारी चल रही है।
रामपुर में 23 व बिजनौर में 18 गांवों में बसे हैं शरणार्थी
रामपुर में तो शरणार्थियों के 23 गांव हैं। बिजनौर में ये शरणार्थी अलग-.अलग 18 गांव में बसे हैं। लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में अलग-अलग गांवों में या जंगलों के किनारे ये लोग बसाए गए। कुछ शरणार्थी परिवारों को तब गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट सरकारी भूमि अनुदान अधिनियम के तहत जमीन दी गई थी। ग्राम सभा और विभिन्न विभागों की स्वामित्व वाली जमीन पर भी बसाया गया। वर्तमान में गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट समाप्त हो चुका है।
कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट
इस संबंध में मुरादाबाद मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में करीब 20 हजार शरणार्थी परिवार लगभग 50 हजार एकड़ भूमि पर काबिज हैं, लेकिन उन्हें अब तक जमीन का पूर्ण स्वामित्व नहीं मिला है। इससे वे जमीन को बेच नहीं सकते और न ही उस पर किसी बड़े वित्तीय लेन-देन के लिए ऋण ले सकते हैं। इन शरणार्थी परिवारों को दी गई जमीन पर पूर्ण स्वामित्व यानी संक्रमणीय भूमिधर अधिकार देने के लिए अलग से कानून बनाने की आवश्यकता होगी, ताकि इन मामलों में मौजूदा नियम शिथिल किए जा सकें।