-पूर्व डीडीजी सहित अन्य लोगों ने विवि के विभिन्न प्रक्षेत्रों का किया भ्रमण,गायों को खिलाया गुड़।
समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में “टिकाऊ खेती के लिए मृदा स्वास्थ्य एवं पादप रोग नियंत्रण हेतु जैव उर्वरकों व कीटनाशी का उत्पादन” विषय पर चल रहे 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण का मंगलवार देर शाम को समापन हुआ।इस मौके पर कार्यक्रम में बतौर मुख्यअतिथि आईसीएआर नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक व डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि समस्तीपुर पूसा बिहार के पूर्व कुलपति डा. एच.पी सिंह,विशिष्ट अतिथि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के पूर्व निदेशक डा.मथुरा राय एवं विवि के कुलपति डा.बिजेंद्र सिंह मौजूद रहे।सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रक्षेत्रों का भ्रमण कर विकास कार्यों को परखा और सरहाना की।इस कार्यक्रम में आठ अलग-अलग राज्यों से कुल 25 वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया।बतौर मुख्य अतिथि आईसीएआर नई दिल्ली के पूर्व उप महानिदेशक व डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि समस्तीपुर पूसा,बिहार के पूर्व कुलपति डा. एच.पी सिंह ने कहा कि जैव कीटनाशकों के उपयोग से कृषि उत्पादन में सुधार हो सकता है। ये कोटों को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं।जैव कीटनाशक पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में कम हानिकारक होते हैं।डा.सिंह ने कहा कि जैव उर्वरकों के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की कमी को कम किया जा सकता है। उन्होंने डिजिटल एग्रीकल्चर, एग्रो टूरिज्म एवं मृदा स्वास्थ्य हेतु जैव उर्वरको एवं जैव कीटनाशक का कृषि में उपयोगिता पर विस्तार से जानकारी दी।विशिष्ट अतिथि डॉ. मथुरा राय ने जैव उर्वरकों एवं जैव कीटनाशक का आधुनिक कृषि में उपयोगिता पर कहा कि इससे किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है।इसके उपयोग से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।उन्होंने कहा कि जैव उर्वरकों एवं जैव कीटनाशकों के संयुक्त उपयोग से कृषि की स्थिरता में वृद्धि होती है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने लोकल स्ट्रेन से जैव उर्वरकों को विकसित करने पर जोर दिया। कहा कि प्रवर्धित स्ट्रेन को जैव उर्वरक में परिवर्तित करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करें।विकसित जैव उर्वरक का परीक्षण करने के साथ-साथ उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने की जरूरत है।कुलपति ने कहा कि जैव उर्वरक के विपणन के लिए रणनीति तैयार करने एवं किसानों तक पहुंचाने के लिए वितरण नेटवर्क को स्थापित करने की जरूरत है।कृषि महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. प्रतिभा सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वैज्ञानिकों के लिए शिक्षण एवं अनुसंधान कार्य में मददगार साबित होगा।डा. महेंद्र सिंह के संयोजन में 21 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया।डा. महेंद्र ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान देशभर के विभिन्न संस्थानों से लगभग 75 व्याख्यान हुए जिसमें लगभग दो दर्जन ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों ने भी विस्तार से जानकारी दी।अतिथियों का स्वागत संबोधन विभागाध्यक्ष डा. सुरेश कुमार ने किया व डा. महेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।इस प्रशिक्षण शिविर को सफल बनाने में डा.समीर,डा रॉबिन सिंह व डा.आनंद सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।इस मौके पर विवि के समस्त अधिष्ठाता,निदेशक, एवं वैज्ञानिक मौके पर मौजूद रहे।
कृषि उत्पादन में सुधार के लिए जैव कीटनाशक एवं उर्वरक का उपयोग जरूरी
