लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक (उम्मीद एक्ट) पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच हंसी-मजाक के अंदाज में आरोप-प्रत्यारोप दिखाई दिया। दरअसल, वक्फ बिल पर बोलते हुए अखिलेश ने भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी को लेकर तंज कसा। इस पर परिवारवाद का जिक्र कर पलटवार करते हुए शाह ने अखिलेश से कहा कि आप तो 25 साल तक अपनी पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे, हमें कार्यकर्ताओं में से चुनना है, इसलिए समय लग रहा है।
समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा में वक्फ विधेयक 2024 पर चर्चा में शामिल होते हुए मोदी सरकार को जमकर हमला किया. अपने संबोधन के दौरान अखिलेश ने कहा कि खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाली पार्टी अभी तक अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन सकी है. इस पर पलटवार करते हुए अमित शाह ने कहा कि हमें अपने 12 से 13 करोड़ सदस्यों में से प्रक्रिया के बाद अध्यक्ष को चुनना है. इसलिए इसमें समय लगता है.
अखिलेश यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर भारतीय जनता पार्टी को घेरते हुए कहा, “बीजेपी के अंदर मुकाबला चल रहा है कि पार्टी के अंदर खराब हिंदू कौन बड़ा है. ये बात मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूं जो पार्टी यह कहती हो कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है. खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाली पार्टी अभी तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन सकी है.”
अखिलेश के आरोप पर शाह ने हंसकर दिया जवाब
इस पर जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “अखिलेश ने बहुत हंसते-हंसते यह बात कही है, तो मैं भी हंसते-हंसते जवाब दूंगा. मेरे सामने जितनी भी पार्टियां हैं, उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कुछ परिवार के लोग ही करेंगे. वह 4-5 लोगों में से. जबकि हमें 12-13 करोड़ सदस्यों में से प्रक्रिया के बाद चुनना है. इसलिए इसमें समय लगता है.” उन्होंने आगे कहा, “आपके मामले में भी इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा. मैं कह रहा हूं कि आप अगले 25 सालों तक अध्यक्ष बने रहेंगे.”
अखिलेश ने अपने संबोधन के दौरान केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ये नाकामियों का विधेयक है. इसी सरकार ने देश में नोटबंदी का भी फैसला लिया था. लेकिन आज भी कितनी जगहों से बड़े-बड़े नोट निकल रहे हैं. इनकी नाकामी किसानों और महंगाई को लेकर भी है. क्या गंगा साफ हो गई. स्मार्ट सिटी बन गई क्या. अपनी सरकार की नाकामी का पर्दा वक्फ विधेयक बना है. जिसके लिए बात होनी थी उसे अहमियत भी नहीं दी गई.