योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला; संभल में हुए 1978 के दंगों की होगी जांच

उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए दंगे की फाइल फिर से खुलेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदेश सरकार ने सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है। संभल प्रशासन और पुलिस मामले की जांच करेंगे। बता दें कि दिसंबर 2024 में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल दंगे पर वक्तव्य दिया। इसके बाद से इस दिशा में काम तेज हो गया था।  

योगी सरकार ने संंभल से 2027 को अभी से साधने का मन बना लिया है. संंभल में मंदिरों के मिलने और बावड़ियों के खोद कर निकालने की घटनाओं के बीच सरकार ने एक और बड़ा फ़ैसला लिया है. सरकार 1978 के संंभल दंगों की जांच फिर से कराने जा रही है. 46 साल बाद इस फैसले ने यूपी में सियासी हलचल बढ़ा दी है. यूपी सरकार ने साल 1978 में संभल में हुए दंगों की फाइल 46 साल बाद फिर से खोलने का फैसला किया है. एसीएस होम ने संभल प्रशासन से एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट मांगी है. सीएम योगी ने पिछले महीने बयान दिया था कि संभल में हुए दंगों में कथित 184 लोग मारे गए थे और कई बेघर हुए थे. हालांकि आधिकारिक मृतकों का आंकड़ा 24 था. विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने फिर से संभल दंगे की जांच की मांग की थी.

46 साल बाद जांच के आदेश

योगी सरकार ने 46 साल बाद 1978 संभल दंगा जांच के आदेश दिए हैं। यूपी गृह विभाग के उप सचिव और मानव अधिकार आयोग के एसपी ने संभल के डीएम और एसपी को पत्र भेजकर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा था कि 1978 के दंगों में कथित 184 लोग मारे गए थे और कइयों के घर उजड़ गए। हालांकि सरकार आंकड़ों के मुताबिक, मृतकों का आंकड़ा 24 था। इसके बाद विधानपरिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने शासन को पत्र भेजकर संभल में हुए 1978 के दंगों की जांच की मांग की, जिस पर अब शासन ने संभल के डीएम और एसपी को पत्र भेजा है।

हिंदुओं को जला दिया गया था जिंदा

संभल में 14 दिसंबर को कार्तिकेय महादेव मंदिर का 46 साल बाद ताला खुलने के बाद सामने आए 1978 के दंगा पीड़ितों ने दंगे की दास्तान सुनाई थी। जानकारी के मुताबिक, 1978 में संभल के नखासा इलाके में मुरारी की फड़ है। यहीं पर दंगे से बचने के लए कुछ हिंदू छिप गए थे, जिसमें से 25 लोगों को जलाकर मार डाला गया था।

सीएम ने सदन में क्या कहा था?

जानकारी दे दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सदन में संभल के 1978 के दंगे का जिक्र किया था। सीएम योगी ने कहा था कि संभल में 1947 से दंगा शुरू हुआ, जिसमें 1 मौत, फिर अगले ही साल 1948 में 6 लोगों की मौत, 1958 और 1962 में भी दंगे हुए। इसके बाद 1976 के दंगे में 5 लोगों को जान गंवानी पड़ी, फिर साल 1978 में तो 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप जला दिया गया और हत्या की गई। आप (विपक्ष) इस सच्चाई को नहीं मानेंगे। इसके बाद साल 1980 और 1982 में भी दंगे हुए। फिर 1986 के दंगों में 4 लोगों की जान गई। साल 1990,92 में फिर दंगा हुआ। 1996 के दंगे में 2 मौत हुई। यह सिलसिला लगातार चलता ही रहा। देखा जाए तो संभल में साल 1947 से लेकर अब तक 209 हिंदुओं की मौत हुई और इनके लिए किसी ने संवेदना के दो शब्द तक नहीं बोले हैं।

क्या है बीजेपी का फाइल खोलने के पीछे का मकशद?

इस फाइल खोलने को बीजेपी सरकार संवेदनशील मामले में पीड़ितों को न्याय देने के रूप में देख रही है, क्योंकि पीड़ित हिन्दू थे और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनके साथ न्याय नही किया था. संंभल हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर भी राजनीति हो रही है. सीएम योगी ने विधानसभा में 178 लोगों के मरने की बात कही थी, जबकि सरकारी आंकड़ों में 24 लोग मारे गए थे. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि संभल में बहुत कुछ छुपाया गया था. संभल में खुदाई से बहुत सारे तथ्य निकलकर बाहर आए. बहुत सारे इतिहास के वो पन्ने खुल गए हैं जिसमे अत्याचार और अन्याय की गाथाएं हैं. जिसमे निरपराध लोगों की नरसंहार और हत्याएं हैं. इन मामलों की जांच किया जाना, दोषियों को सजा दिया जाना और पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाकर और न्याय दिया जाना समाचीन हैं. मामले की अगर आवाज़ उठाई जा रही है तो जांच होनी चाहिए क्योंकि पीड़ित परिजन न्याय की उम्मीदवार लगाए बैठे हैं कि तत्कालीन मजहबी सरकार ने तुष्टिकरण के चलते अन्याय किया था.

संभल में दो महीने लगा था कर्फ्यू

संभल में वर्ष 1978 का दंगा 29 मार्च को हुआ था। इस दंगे में शहर जल उठा था। हालात को संभालने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया था। फिर भी शहर में दोनों समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। ऐसी स्थिति में कर्फ्यू का अंतराल बढ़ता गया। संभल में दो महीने तक तक कर्फ्यू लगा रहा।

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