परीक्षा फल पर सेवा समाप्ति हो जायेगी
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। विनियमितीकरण न होने के कारण बर्खास्त किये गये तदर्थ शिक्षकों को शासन ने 24000 रुपये प्रतिमाह मानदेय पर रखने का निर्णय किया है, परन्तु उन्हे ११ महीने का ही मानदेय दिया जायेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने शिक्षामित्र की तरह मानते हुए ऐसे तदर्थ शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया था जिसका विनियमितीकरण नहीं हुआ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मानदेय पर नियुक्त तदर्थ शिक्षकों की सेवायें उनकी परीक्षाफल पर निर्धारित रहेगी। अगर चालू सत्र में तदर्थ शिक्षकों का परीक्षाफल 50 प्रतिशत से कम रहता है तो नई शर्त के अनुसार उनकी सेवायें समाप्त कर दी जायेगी। मानदेय शिक्षकों द्वारा अपने विषय पढ़ाये जाने का रेट यूपी बोर्ड के तीन साल के परीक्षाफल के औसतन का ५० प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। इसके अलावा संतोषजनक सेवा व अनुशासन न होने, अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने तथा एक महीने तक लगातार अनुपस्थित रहने पर सेवा समाप्त की जा सकती है। इसके अलावा राज्य सरकार जब चाहे मानदेय की व्यवस्था समाप्त कर सकती है। उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षक संघ की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य नरेन्द्र पाल सिंह सोलंकी एवं जिला संयुक्त मंत्री जितेन्द्र सिंह ने तदर्थ शिक्षकों के मानदेय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिन तदर्थ शिक्षकों को एक लाख से अधिक वेतन मिलता रहा हो उन्हे 24 हजार रुपये मानदेय दिया जाना उचित नहीं है। शिक्षक नेताओं ने शासन से पचास हजार रुपये मानदेय दिये जाने की मांग की है।
तदर्थ शिक्षकों को 11 महीने का ही मिलेगा मानदेय 50 प्रतिशत से कम
