अक्षय तृतीया जैन धर्म में अत्यंत पावन और ऐतिहासिक महत्व का पर्व

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव आदिनाथ की प्रथम आहार ग्रहण की स्मृति में अक्षय तृतीया पर यह दिन मनाया जाता है। दीक्षा लेने के बाद ऋषभदेव एक वर्ष तक निर्जल तपस्या करते रहे और जब वे आहार के लिए निकले, तो हस्तिनापुर के राजा श्रेयांस कुमार ने उन्हें गन्ने के रस का आहार दिया। यह घटना अक्षय तृतीया के दिन हुई थी, इस दिन किए गए दान, तप और पुण्यकर्म को अक्षय फलदायक माना जाता है। यानी इसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता। जैन धर्मावलंबी इस दिन व्रत, तपस्या और विशेष पूजा-अर्चना कर आत्मशुद्धि और मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होते हैं। श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मन्दिर मौहल्ला जोगराज में महिलाओं द्वारा 48 दीपकों से भक्तामर स्तोत्र पाठ किया गया एवं 24 तीर्थंकरों पर भजन गाये गये, साथ में सभी महिलाओं ने भक्ति पूर्वक नृत्य किया। शाम को मन्दिर के बाहर राहगीरों को इक्षु रस गन्ने के रस का वितरण किया गया। इस अवसर पर पूनम जैन, मिनी जैन, मोनी जैन, ममता जैन, नंदिता जैन, नीलम जैन, रूचि जैन, आरती जैन, वर्षा जैन, शिखा जैन, आकांक्षा जैन, अभिषेक जैन, कन्हैया लाल जैन आदि लोग मौजूद रहे।

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