फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कनोडिया विद्यालय में पंद्रह दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। सुरेन्द्र पांडेय ने कहा कि कथक नृत्य केवल एक शास्त्रीय नृत्य शैली नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन दृष्टि है जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी बारीकियों में निहित लय, ताल और भाव-भंगिमाएं न केवल कलाकार को सौंदर्य और अभिव्यक्ति की ऊंचाइयों तक पहुंचाती हैं, बल्कि जीवन में अनुशासन, संतुलन और धैर्य भी सिखाती हैं। प्रशिक्षिका अंजलि चौहान ने बताया कि कथक के अभ्यास से शरीर लचीला, संतुलित और सशक्त बनता है, जिससे संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। वहीं दूसरी ओर कथक में प्रयुक्त जटिल तालों की गणना, कथावाचन की शैली और भाव-प्रदर्शन की गहराई व्यक्ति की स्मरण शक्ति, एकाग्रता और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। यह नृत्य केवल मंच पर प्रदर्शन करने का माध्यम नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति और आत्म-उन्नति का साधन भी है। कथक हमें भारतीय सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है, जिसमें परंपरा, आध्यात्मिकता और जीवन के गूढ़ सत्य समाहित हैं। इस प्रकार कथक नृत्य हमारे जीवन में शारीरिक ऊर्जा, मानसिक स्थिरता और आत्मिक संतुलन लेकर आता है। जिससे हम न केवल एक बेहतर कलाकार बनते हैं, बल्कि एक बेहतर इंसान भी। बड़ी संख्या में सहभागिता कर रहे बच्चों के अभिभावकों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन संस्कृति से जुड़ाव पैदा करते हैं। इस अवसर पर डॉ0 नवनीत गुप्ता, अरविन्द दीक्षित, प्रधानाचार्या सुमन, अनिल प्रताप आदि मौजूद रहे।
कथक से शरीर लचीला, संतुलित व सशक्त बनता है: अंजलि चौहान
