जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद ट्रांसफर पर बार एसोसिएशन नाराज, कहा- हम कूड़ेदान नहीं

जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सख्त नाराजगी जाहिर की है. एसोसिएशन ने देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना को चिठ्ठी लिखकर कहा है कि हम कोई कूड़े का डब्बा नहीं हैं और भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में हमें बर्दाश्त नहीं है. दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से करीब 15 करोड़ नकद बरामद होने की घटना सामने आई थी.

इलाहाबाद. दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले को लेकर बवाल मच गया है. इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें यहां क्यों भेजा गया है. अन्य हाई कोर्ट में क्यों ट्रांसफर नहीं किया गया. हम कूड़ेदान नहीं हैं. एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना को चिठ्ठी भी लिखी है. सूत्र के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में बताया जा रहा है कि उनके आवास से करीब 15 करोड़ की नकदी मिली. इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने एक लेटर के जरिये यह जानकारी दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं भेजने की अपील की है. बार एसोसिएशन ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ादान नहीं है कि भ्रष्टाचार के आरोपियों को यहां न्याय देने के लिए भेजा जाए. बार एसोसिएशन ने मांग की है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर ना किया जाए. उन्हें तब तक न्यायिक कार्य से अलग रखा जाए जब तक उनके खिलाफ जांच पूरी ना हो जाए. बार एसोसिएशन ने इस मामले में 24 मार्च को जनरल हाउस की बैठक भी बुलाई है. एसोसिएशन का कहना है कि जनरल हाउस की बैठक में इस मुद्दे को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. बार एसोसिएशन ने इस बारे में चार पन्ने का एक पत्र भी जारी किया है.

पत्र में कहा गया है कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए पता चला है कि जस्टिस वर्मा के घर से कुछ पैसे बरामद होने के आरोप के बाद उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की गई है. जस्टिस के आवास से रुपये मिलना पूरी तरह से गलत है. अगर आरोपी लोगों को हाईकोर्ट में न्याय देने के लिए बिठाया जाएगा तो इससे जनता में न्याय के प्रति विश्वास कम होगा. यह मामला न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर संकट खड़ा करने वाला है. एसोसिएशन ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला भी दिया है.

दिल्ली हाईकोर्ट के वकील क्या बोले

इस बीच, यह भी जानकारी आई कि दिल्ली हाईकोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज के पद पर तैनात जस्टिस वर्मा ने आज अदालत में सुनवाई नहीं की. वे आज गैरहाजिर रहे. ये जानकारी उनके कोर्ट मास्टर ने वकीलों को दी. दिल्ली हाईकोर्ट के एक वकील ने इस घटना का जिक्र आज हाईकोर्ट में करते हुए हैरानी और दुख भी जताया. वकील ने कहा कि वह और कई दूसरे वकील इस घटना से सकते में हैं. कुछ वकीलों ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाने के लिए अदालत से आग्रह भी किया.

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