समृद्धि न्यूज। सनातन धर्म में छठ महापर्व को महत्वपूर्ण माना गया है। ये महापर्व चार दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अघ्र्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही ये महापर्व संपन्न हो जाता है। मान्यताओं के अनुसा, छठी मैया अपने भक्तों के कष्ट हर लेती हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा यानी संध्या अघ्र्य माना जाता है। इस दिन संध्या अघ्र्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अघ्र्य देते हैं। वैंदिक पंचांग के अनुसार 27 अक्तूबर को सूर्योदय प्रात: 06:30 मिनट और सूर्यास्त शाम 05:40 मिनट पर होगा। इस दिन व्रती और भक्त किसी पवित्र नदी या तालाब मे कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अघ्र्य देते हैं। छठ पूजा का मुख्य अनुष्ठान सूर्यास्त के समय ही करने का विधान है। वहीं कल यानी 28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा।
संध्या अघ्र्य के समय शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए, व्रती आम तौर पर पीले या सफेद वस्त्र पहनते हैं। संध्या अघ्र्य के समय नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाना चाहिए, फिर एक साफ और सुरक्षित स्थान चुनाव करना चाहिए। प्रसाद के रूप में पारंपरिक प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल, सिंघाड़ा और गुड़ तैयार करना चाहिए। सूर्य अघ्र्य से पहले शुद्ध दीपक और घी तैयार रखना चाहिए। पूरे समय भक्ति और ध्यान में रहना चाहिए, अघ्र्य देने के दौरान सूर्यदेव के विशेष मत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।
छठ महापर्व का चौथा और आखिरी दिन कार्तिक माह की सप्तमी तिथि को होता है, जिसमें इस दिन उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। 28 अक्तूबर 2025 को उगते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अघ्र्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।
छठ महापर्व 2025: आज डूबते सूर्य की होगी पूजा, दिया जाएगा संध्या अघ्र्य
