समृद्धि न्यूज। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह रवि पुष्य लग्न में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। कपाट खुलते ही धाम जय बदरी विशाल के जयकारों की गूंज से गूंज उठा। वहीं, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हुई। बदरीनाथ के कपाट खुलने पर यहां छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। धाम में 10,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं।
जानकारी के मुताबिक, चार धाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पूरा मंदिर फूलों से सजाया गया है। इस मौके पर मंदिर पर फूलों की वर्षा की गई। कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की और भगवान बद्रीविशाल का आशीर्वाद प्राप्त किया। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। बता दें कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। चार धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है। हालांकि, यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खोले जा चुके हैं। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व माना गया है। चारों धामों में से एक बद्रीनाथ धाम को धरती का बैकुंठ भी कहते हैं।
#WATCH | Uttarakhand: The portals of Badrinath Dham opened amid melodious tunes of the Army band and chants of Jai Badri Vishal by the devotees pic.twitter.com/BHzt7gWx4V
— ANI (@ANI) May 4, 2025
मई से नवंबर तक खुला रहता है मंदिर
बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है और इसे धरती का बैकुंठ कहा जाता है। यह पवित्र स्थल अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित है। मंदिर केवल मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। शीतकाल में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाती है। कपाट बंद होने से पहले मंदिर में जलाया गया दीपक छह माह तक लगातार जलता रहता है।
#WATCH | Uttarakhand: Flower petals being showered on the devotees as portals of Shri Badrinath Dham opened for the devotees today. pic.twitter.com/N4pbh1nmlP
— ANI (@ANI) May 4, 2025
बद्रीनाथ धाम को बैकुंठ क्यों कहते हैं?
बद्रीनाथ धाम का चार धामों में विशेष महत्व माना जाता है इसलिए इसे धरती का बैकुंठ धाम भी कहते हैं, इसका कारण है कि बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु निवास करते हैं, इसलिए इसे हिंदू धर्म में प्रमुख धाम का स्थान दिया गया है, धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में एक बार बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, तो उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे दिव्य लोक भी कहा जाता है।
धामी पहुंचे धाम, दर्शन कर पूजा अर्चना की
धाम के कपाट खुलने के मौके पर सीएम धामी भी बदरीनाथ पहुंचे। उन्होंने बदरी विशाल के दर्शन कर पूजा अर्चना की।
#WATCH | बद्रीनाथ, चमोली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की।
बद्रीनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। pic.twitter.com/6ZfW2cHw8s
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 4, 2025
40 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया बदरीनाथ मंदिर
कपाटोद्धघाटन के लिए बदरीनाथ मंदिर को 40 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। देर शाम तक भी मंदिर के सिंहद्वार के शीर्ष भाग पर फूलों की सजावट का काम जारी रहा।
#WATCH | बद्रीनाथ, चमोली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "आज का दिन बहुत ही शुभ है, मैं उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी की यात्रा सुखद हो। सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं, चारधाम यात्रा थोड़ी कठिन है… https://t.co/upiMSyKppX pic.twitter.com/BewduOu3oT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 4, 2025
बद्रीनाथ में कौन से भगवान की मूर्ति है
बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु, जिन्हें वहां बद्रीनारायण भी कहा जाता है, की पूजा की जाती है, यहां उनकी एक मीटर ऊंची काले पत्थर की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है, जिसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर की थी, इस मूर्ति के दाहिनी ओर कुबेर देव, लक्ष्मी जी और नारायण की मूर्तियां भी स्थापित की गई है, यह मूर्ति भगवान विष्णु की आठ स्वयं प्रकट हुई मूर्तियों में से एक मानी जाती है।