फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में मेला श्रीरामनगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र में चरित्र निर्माण शिविर में प्रात:काल यज्ञ किया गया। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने कहा कि धर्म के तीन स्कन्ध हैं यज्ञ, अध्ययन और दान। यज्ञ करने वाला, श्रेष्ठ पुस्तकों का अध्ययन करने वाला और उत्तम कार्यों में दान देने वाला मनुष्य धर्मात्मा कहलाता है। यज्ञ को शास्त्रों में कल्पवृक्ष कहा गया है, जो व्यक्ति जैसी शुभकामना लेकर यज्ञ करता है उसकी वो शुभकामनाएं यज्ञ भगवान पूर्ण करते हैं। यज्ञ करने से प्रदूषण दूर होता है। जिससे मनुष्य लम्बी आयु को प्राप्त करता है। इसीलिए शास्त्रों में यज्ञ को श्रेष्ठतम कर्म कहा गया है। स्वाध्याय करने वाले मनुष्य के विचार श्रेष्ठ बनते हैं। और धर्म हित दान करने वाले मनुष्य सौभाग्य को प्राप्त होते हैं।
श्रुतिकीर्ति अग्निहोत्री ने भजन के माध्यम से बताया कि महर्षि दयानन्द ने वेदों का भाष्य करके सम्पूर्ण संसार में ज्ञान का सूर्यवत प्रकाश किया। जिससे लोग अविद्यान्धकार से बचकर ज्ञान के प्रकाश में विचरण कर सकें। पण्डित शिवनारायण आर्य ने बताया कि मनुष्य जीवन की सार्थकता वेद के बताए हुए रास्ते पर चलने से है। पण्डित धनीराम बेधडक़, आल्हा सम्राट मुन्नालाल ने अपने विचारों से श्रोताओं को सन्मार्ग में चलने की प्रेरणा दी। स्वामी महेन्द्रानंद ने मंच का संचालन किया। सभा में उत्कर्ष आर्य, उदयराज आर्य, संदीप आर्य, हरिओम शास्त्री, शिशुपाल आर्य, अजीत आर्य आदि उपस्थित रहे।
धर्म के तीन स्कन्ध करने वाला मनुष्य कहलाता है धर्मात्मा: चन्द्रदेव शास्त्री
