26 फरवरी 2006 को बेदी राम और उसके गैंग के 16 लोगों को UP STF ने लखनऊ और दूसरे जिलों से गिरफ्तार किया था। 2006 में रेलवे भर्ती बोर्ड की समूह घ की भर्ती का पूरा पेपर ही बेदी एंड गैंग ने लीक कर लिया था। यूपी STF ने तब बकायदा प्रेस नोट जारी किया था और बताया था कि बेदीराम पेपर लीक का कितना बड़ा मास्टर माइंड है और गिरोह चला रहा है। तब SK भगत STF के SSP थे अभी वो DG पर हैं। बेदी राम एंड गैंग को राजेश पांडेय की टीम ने दबोचा था। बाद में राजेश पांडे पुलिस में IG पद से रिटायर हुए और आजकल यूपीडा में सुरक्षा सलाहकार हैं।
जौनपुर के केराकत तहसील क्षेत्र के कुसियां निवासी बेदीराम पिछले कई वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं में सेटिंग करके परीक्षार्थियों को पास कराने के लिए जाने जाते थे। हालांकि कभी भी सीधे पैसा लेते नहीं देखे गए। 2006 में रेलवे का पेपर लीक कराने के मामले में पहली बार नाम सामने आया। लखनऊ के कृष्ण नगर में बेदी राम पर एसओजी और एसटीएफ ने मुकदमा दर्ज कराया था। यहीं, उनपर गैंगस्टर एक्ट लगा था। एक वर्ष भी नहीं बीता था कि रेलवे का पेपर लीक कराने में गोमती नगर में एक और मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद बेदीराम के नाम की चर्चाएं प्रदेश के बाहर भी होने लगी। स्थिति यह हुई कि 2009 में ही रेलवे की परीक्षा सेटिंग कराने के मामले में नाम आया। वहां भी एसओजी और एसटीएफ ने मुकदमा दर्ज कराया गया। वह पेपर लीक मामले में गिरफ्तार भी हो चुके हैं। इतना ही नहीं 21 अगस्त 2014 को यूपी एसटीएफ गैंगस्टेर एक्ट में बेदी राम के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। खुद पर लगातार सख्ती होता देख बेदीराम ने राजनीति में इंट्री योजनाबद्ध तरीके से मार ली। पहले पत्नी बदामा देवी को जलालपुर ब्लाक प्रमुख पद के चुनाव मैदान में उतार दिया। यह चुनाव भी केराकत के तत्कालीन भाजपा विधायक दिनेश चौधरी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं, जिनकी भयोहू इस बार चुनाव लड़ रही थी, लेकिन, बेदीराम ने भाजपा में भी सेंधमारी करते हुए अपनी पत्नी को जीताने में कामयाब रहे। इसके बाद खुद भी विधायक बनने के लिए सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से हाथमिलाया औैर गाजीपुर के जखनिया सुरक्षित सीट से जीतकर जौनपुर के लोगों को हैरान कर दिया।