मध्य प्रदेश के दमोह में चल रहे मिशन अस्पताल में करीब 1 महीने के समय में 7 मरीजों की मौत हो जाने के आरोप के बाद खलबली मच गई. इन मौतों के लिए एक डॉक्टर को जिम्मेदार बताया जा रहा है. आरोप है कि डॉक्टर फर्जी था. खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर वो लोगों की हार्ट सर्जरी कर रहा था. ये जो 7 मौतें हुई है वो हार्ट के ऑपरेशन की वजह से हुई है. दरअसल, दमोह के एडवोकेट और बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने इस मामले का खुलासा किया और कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद डीएम ने जांच के आदेश दिए है.
मध्य प्रदेश के दमोह के मिशन अस्पताल से लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां लापरवाही की वजह से 7 हार्ट मरीजों की मौत हो गई. यहां एक शख्स अपने आप को लंदन का डॉक्टर बताकर नौकरी कर रहा था, जिसने कुछ हार्ट पेशेंट का ऑपरेशन भी किया, जिनमें से 7 की मौत हो गई. दरअसल, बताया जा रहा है कि ये फर्जी डॉक्टर लंदन के डॉक्टर एनकेम जॉन के नाम से नौकरी कर रहा था. इस दौरान डॉक्टर ने हार्ट पेशेंट की सर्जरी की. इनमें से सात मरीजों की मौत हो गई.
ये मामला फरवरी महीने का है, यानी मरीजों की मौत को दो महीने का समय बीत गया है. हार्ट पेशेंट्स के ऑपरेशन के दौरान सात लोगों की जान चली गई. इस गंभीर लापरवाही के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने न तो आरोपी की डिग्री का वेरिफिकेशन किया और न ही उसकी पहचान की जांच की गई. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने इसकी शिकायत की.
सरकारी फंड के दुरुपयोग का आरोप
अध्यक्ष दीपक तिवारी ने बताया कि मामले की जांच में लापरवाही बरती गई, जिसकी वजह से मार्च में इसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग से की गई. जांच के दौरान यह भी आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या और ज्यादा हो सकती है. इस मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब बाल संरक्षण आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस पूरे घटनाक्रम को सोशल मीडिया पर उजागर किया. उन्होंने यह भी बताया कि यह अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना से जुड़ा है, जिससे सरकारी फंड के दुरुपयोग का भी आरोप सामने आया है.
अस्पताल पर लगे गंभीर आरोप के पीछे एक कार्डियोलॉजिस्ट है जिनका नाम डॉ. एन जोन केम है. इस नाम के फेमस कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर ब्रिटेन लंदन में हैं. शिकायत में कहा गया है कि इस डॉक्टर में ब्रिटेन के फेमस डॉक्टर के नाम के फर्जी दस्तावेज बताकर मिशन अस्पताल में नौकरी कर ली. फिर बिना किसी अनुभव के ऑपरेशन किया और इसी वजह से ये मौतें हुई. अब जरा जानिए कि ये डॉक्टर फर्जी कैसे निकला. कलेक्टर के आदेश पर जो जांच चल रही है उस जांच कमेटी ने मिशन अस्पताल से तमाम दस्तावेज जब्त किए. इन दस्तावेजों में आरोपी डॉक्टर यानी डॉ. एनजोन केम ने इसी नाम से अपनी डिग्रियां और बाकी के डॉक्यूमेंट लगाए हैं, जबकि असल में ये वो एन जोन केम नहीं जिनकी चर्चा ब्रिटेन से लेकर दुनिया भर में होती है. जब जांच पड़ताल की गई तो मालूम चला कि ये शख्स असल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. इसके असल में डॉक्टर होने की पुष्टि भी नहीं हो रही है. दमोह के मिशनरी अस्पताल में आने से पहले ये शख्स एमपी के नरसिहंपुर में भी नौकरी कर चुका है और जब वहां बात नहीं बनी तो वो दमोह आया. इस शख्स पर जो आरोप लग रहे इसे लेकर जब और जांच पड़ताल की गई तो इसका कोई स्थाई पता ठिकाना नहीं मिला, बल्कि जिस भी शहर में रहता है उस शहर की किसी होटल में रहता है और कब लापता हो जाए कोई ठिकाना नहीं. शिकायतकर्ता दीपक तिवारी भी बताते हैं कि जब उसके खिलाफ पूछताछ हुई तो वो गायब हो गया. दीपक तिवारी के मुताबिक उनके नॉलेज में ये मामला तब आया जब एक पीड़ित व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और बताया कि उसके दादा को हार्ट प्रॉब्लम हुई. वो उन्हें लेकर मिशन अस्पताल गया, लेकिन उसे डॉक्टर पर शक हुआ. उसने खोजबीन की तो डॉ. एनजान केम के फर्जी होने की बात मालूम चली. वो यहां बिना इलाज कराए उन्हें लेकर जबलपुर चला गया. उसके दादा स्वस्थ्य हैं लेकिन वो कार्रवाई चाहता था. इस पीड़ित व्यक्ति ने कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद ये सब खुलासा हुआ.