प्रयागराज: महाकुंभ की चर्चा देश ही नहीं विदेशों तक भी हो रही है। पॉपुलर आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एप्पल के को-फाउंडर रहे स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवल जॉब्स भी महाकुंभ में शामिल होने प्रयागराज पहुंचीं हैं। प्रयागराज में लॉरेन पॉवेल अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद महाराज के पास पहुंची हैं। यहां वो कल्पवास करेंगी और साधुओं की संगत में सादगीपूर्ण जीवन बिताएंगी। महाकुंभ में वैसे तो संत महात्माओं का रेला लगा है, लेकिन इसी महाकुंभ में एक ऐसे भी संत हैं, जिनसे मिलने के लिए लोगों का रेला लग गया है. लोग ऐसे ही इनके पास नहीं उमड़ रहे हैं, बल्कि इसलिए भी उमड़ रहे हैं कि वह एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स के गुरू हैं और इस समय लॉरेन उनके महाकुंभ स्थित कैंप में ठहरी हुई हैं. अपने गुरू के प्रभाव और आध्यात्मिक रुझान की वजह से लॉरेन ने अपने गुरू का ना केवल गोत्र ग्रहण किया है, बल्कि अपना नामकरण भी सनातन धर्म के मुताबिक कराया है. वैसे तो कैलाशानंद गिरी का आश्रम हरिद्वार में हैं, लेकिन वह मुखर वक्ता होने के साथ भ्रमणशील और सत्संगी संत हैं. बताया जा रहा है कि एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी पहले उनके कार्यक्रम टीवी पर देखा करती थीं और उनसे बहुत प्रभावित थीं. उन्होंने मन ही मन कैलाशानंद गिरी को अपना गुरू मान लिया था. करीब चार साल पहले वह गुरू के दर्शन के लिए हरिद्वार पहुंची और विधि विधान से दीक्षा लिया था.
10 दिनों तक आश्रम में रहेंगी लॉरेन
उसके बाद से वह लगातार अपने गुरू के संपर्क में हैं. इस समय वह भारत प्रवास पर हैं और प्रयागराज महाकुंभ में अपने गुरू आश्रम में ही ठहरी हैं. लॉरेन ने यहां संगम में आस्था की डुबकी लगाने से पहले बनारस भी पहुंची थीं. वहां उन्होंने देवाधि देव महादेव विश्वनाथ के दरबार में भी गई थीं. वहां उन्होंने दर्शन पूजन किया और अब अपने गुरू के आश्रम में 10 दिनों तक रहकर भजन कीर्तन करेंगी.
मिला नया नाम और गौत्र
स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि उन्हें अपने गुरु का गोत्र मिलने के बाद नया नाम दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि लॉरेन की सनातन धर्म में गहरी रुचि हैं और वो उन्हें पिता की तरह मानती हैं। उन्होंने कहा, मैं भी उन्हें अपनी बेटी की तरह मानता हूं। लॉरेन पॉवेल को अच्युत-गोत्र दिया गया है। लॉरेन पॉवेल के कुंभ में आने को लेकर उन्होंने स्वामी कैलाशानंद ने कहा था, वह यहां अपने गुरु से मिलने आ रही हैं। हमने उसका नाम कमला रखा है और वो हमारे लिए बेटी जैसी हैं। यह दूसरी बार है जब वह भारत आ रही हैं.कुंभ में सभी का स्वागत है।
पेशवाई रस्म में शामिल किया जाएगा
स्वामी कैलाशानंद ने जानकारी देते हुए कहा कि लॉरेन ध्यान लगाने के लिए भारत आईं हैं। उन्हें अखाड़े की पेशवाई रस्म में शामिल किया जाएगा। दुनिया के सबसे धनी परिवारों में से एक से ताल्लुक रखने वाली लॉरेन महाकुंभ के दौरान संन्यासी की तरह रहेंगी। वो शाही स्नान (14 जनवरी) और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) के दौरान शाही स्नान करेंगी।