श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र की कथा सुन श्रोता हुए भावविभोर

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। नगर के मोहल्ला अंडियाना में श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन भगवताचार्य पंडित मनोजानंदन महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा का मनोहारी वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। कथा सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्तगण जुटे।
नगर के मोहल्ला अंडियाना में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आखरी दिन श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का बखान किया गया। कथा व्यास आचार्य मनोजानंदन महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना, सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य मनोजानंदन महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र सखा से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढऩे लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर उमेश श्रीवास्तव, रमा त्रिपाठी, अमित दीक्षित, वी.के. दीक्षित, सनी यादव, रामू, संजीव सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे। अंत में सभी को प्रसाद वितरण किया गया।

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