सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (02 जनवरी, 2025) को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में 2013 में 10 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एक व्यक्ति को नाबालिग मानते हुए उसकी आजीवन कारावास की सजा रद्द कर दी और रिहाई का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि 2013 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में 10 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की वारदात के समय दोषी नाबालिग था. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से दोषी को दी गई आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया. बलात्कार और हत्या के मामले में 17 मई, 2018 को निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद मामले को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सजा की पुष्टि के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेजा गया था. हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. अपीलों पर गौर करते हुए शीर्ष अदालत ने फैजाबाद स्थित किशोर न्याय बोर्ड को आरोपी की उम्र का प्रॉपर वेरिफिकेशन करने और किशोर होने के दावे पर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा था. गुरुवार को पीठ ने रिपोर्ट का ओवरव्यू किया, जिसमें कहा गया था कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि दोषी का जन्म पांच जुलाई, 1995 को हुआ था और एक जनवरी, 2013 को अपराध की तारीख को उसकी आयु 18 वर्ष से कम थी. पीठ ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश राज्य के वकील ने किशोर न्याय बोर्ड की दी गई रिपोर्ट का विरोध नहीं किया है. हमने उस रिपोर्ट और उसमें दिए गए कारणों की भी जांच की है और हमें अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई आधार और कारण नहीं मिला है. तदनुसार, अपीलकर्ता को अपराध की घटना/घटना की तारीख को किशोर के रूप में माने जाने का निर्देश दिया जाता है.’’