हरदोई। जिले भर में सरकारी धान क्रय केंद्रों की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। शासन की ओर से भले ही किसानों से समय पर धान क्रय करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। शहर की मंडी समिति से लेकर ग्रामीण अंचलों के खरीद केंद्रों तक किसानों की हालत दयनीय है। कई जगह तो किसानों को पांच से सात दिन बीत जाने के बाद भी धान तौलने का मौका नहीं मिला है। परिणामस्वरूप किसान अपनी ट्रॉलियों में भरा धान खुले आसमान के नीचे रखकर मंडी में ही रातें गुजारने को मजबूर हैं।
मंडी परिसर में ट्रॉलियों की कतारें, किसानों की बढ़ी चिंता
हरदोई की मुख्य मंडी समिति सहित आसपास के सभी क्रय केंद्रों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। जहां तक नजर जाती है, केवल धान से लदी ट्रॉलियां दिखाई देती हैं। किसान लगातार मंडी में ही डटे हुए हैं। कई किसान अपनी ट्रॉली पर ही चादर ओढ़कर रात गुजार रहे हैं ताकि कोई धान चोरी या खराब न कर सके। किसानों का कहना है कि वे दो-दो, तीन-तीन दिन से मंडी में हैं, लेकिन अभी तक तौल नहीं हो सकी है। अधिकारियों से पूछने पर “प्रक्रिया चल रही है” कहकर उन्हें टरका दिया जाता है।
क्रय केंद्रों पर उठान व्यवस्था भी ठप
जहां एक ओर किसानों की तौल नहीं हो रही, वहीं दूसरी ओर पहले से खरीदा गया धान मंडियों में पड़ा-पड़ा सड़ रहा है। उठान व्यवस्था पूरी तरह फेल है। मंडी समिति और अन्य सरकारी एजेंसियों के क्रय केंद्रों पर धान के ढेर लग चुके हैं। जगह की कमी के कारण नई आवक को संभालना मुश्किल हो गया है। इससे धान की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों के आरोप – बिचौलियों का तौला जा रहा धान
किसानों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि जिन किसानों के कागजों में मामूली सी त्रुटि निकल आती है, उन्हें तौल से वंचित कर दिया जाता है, जबकि बिचौलियों के माध्यम से आने वाला धान आसानी से खरीदा जा रहा है। कई किसानों ने बताया कि उन्हें कभी नमी, कभी कागजों में गलती और कभी बोरे की कमी का हवाला देकर लौटा दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित क्रय केंद्रों पर भी यही हाल है। किसान परेशान होकर बार-बार केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल रहा।
नमी का बहाना और जिम्मेदारों की बेरुखी
धान में नमी को लेकर विभागीय अधिकारी बहाना बना रहे हैं। उनका कहना है कि नमी अधिक होने के कारण तौल में दिक्कत आ रही है। मगर किसानों का कहना है कि धान पूरी तरह सूखा हुआ है, फिर भी विभाग केवल कागजी कार्यवाही में किसानों को उलझा रहा है।
शाहाबाद में समानांतर मंडी से बढ़ी गड़बड़ी
उधर शाहाबाद क्षेत्र के उधरनपुर में नवीन गल्ला मंडी के समानांतर एक निजी स्तर पर संचालित मंडी चल रही है। बताया जा रहा है कि यहां तीन व्यक्तियों ने मिलकर “अपनी अलग मंडी” बना रखी है, जहां मनमानी तरीके से धान की खरीद-बिक्री की जा रही है। इस अवैध मंडी की जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही, जिससे सरकारी व्यवस्था की पोल खुल रही है।
किसानों की मांग – तत्काल व्यवस्था सुधारी जाए’
किसानों ने जिला प्रशासन और खाद्य विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। किसानों ने यह भी कहा कि धान की खरीद में हो रही लापरवाही से उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है — एक तरफ धान खराब हो रहा है, दूसरी तरफ खर्चा और समय दोनों बर्बाद हो रहे हैं।
