बता दें कि बीते साल अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा था कि शादी करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देना संसद के अधिकार क्षेत्र में है.
सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3-2 के बहुमत के फैसले से कहा था कि इस तरह की अनुमति सिर्फ कानून के जरिए ही दी जा सकती है और कोर्ट विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट ने 10 दिनों की सुनवाई के बाद 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं में से एक उदित सूद की ओर से दायर समीक्षा याचिका शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दायर की गई है। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने संबंधी 21 याचिकाओं पर संविधान पीठ ने सुनवाई की थी। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया जाए।