कमालगंज, समृद्धि न्यूज। मनरेगा में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस स्थल पर विकास कार्य दिखाकर पैसा निकाला गया वहां ज़मीन पर काम न के बराबर नजर आया। ग्राम प्रतिनिधि शीवू उर्फ अकरम का कहना है कि मनरेगा कार्य ग्राम पंचायत की देखरेख और जिम्मेदार अधिकारियों की अनुमति से ही संचालित होते हैं। जब इस मामले पर एपीओ गौरव कुमार से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने भी गेंद दूसरे पाले में डालते हुए कहा यह भूमि संरक्षण विभाग का कार्य है। वन विभाग का इससे कोई लेना देना नहीं है। वहीं ज़मीन पर दिखाए गए रिकॉर्ड के मुताबिक कार्य में जितने मजदूर दिखाये गये हैं उससे 4 गुना का भुगतान आखिर किस आधार पर किया गया। साफ है कि मजदूरों के नाम पर कागज़ी खानापूरी कर लाखों रुपये का बंदरबांट किया जा रहा है। सवाल यह है कि इस घोटाले में ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव, एपीओ गौरव कुमार और खंड विकास अधिकारी त्रिलोक चंद्र की भूमिका संदिग्ध क्यों न मानी जाए। आखिर इतने बड़े पैमाने पर फर्जी मजदूर चढ़ाने की जानकारी इनके संज्ञान में क्यों नहीं आई। ग्रामीणों की मांग है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, वरना मनरेगा जैसे गरीब मजदूरों के हक़ की योजनाएं सिर्फ भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह जाएंगी।
