भारत विकसित निर्माण में संस्कृत वाड्मय की भूमिका पर संगोष्ठी सम्पन्न

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् लखनऊ एवं संस्कृत विभाग, भारतीय महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का विषय था-विकसित भारत के निर्माण में संस्कृत वाङ्मय की भूमिका यह पर आयोजन भारतीय महाविद्यालय में सम्पन्न हुआ। जिसमें विभिन्न अंचलों से विद्वानों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की। मुख्य अतिथि प्रबंध समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार त्रिपाठी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ0 रमन प्रकाश, मुख्य वक्ता प्रो0 डॉ0 प्रदीप कुमार दीक्षित, संयोजक डॉ0 मिताली, असि0 प्रोफेसर डॉ0 सर्वेश कुमार शांडिल्य, डॉ0 अर्चना पाण्डेय, वीरेंद्र कुमार मिश्र, रंजन सक्सेना आदि रहे। मुख्य वक्ता प्रो0 प्रदीप कुमार दीक्षित ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए हम सभी को योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत वाङ्मय हमारी भारतीय सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, शास्त्रज्ञान, विद्या परम्परा, अध्यात्मिक शक्ति आदि के रूप में वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जाता है। विश्व को ज्ञान एवं मार्गदर्शन देने के कारण हम विश्वगुरु कहे जाते रहे हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ0 मिताली ने सभी को संस्कृत वाङ्मय के परिचय में वेद, वेदांग, उपनिषद, भारतीय दर्शन, पुराण साहित्य, संस्कृत साहित्य आदि के विषय में सभी को विस्तार से बताकर श्वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को विश्व समुदाय के लिए सहयोगी बताया। डॉ0 सर्वेश कुमार शांडिल्य ने स्वागत भाषण एवं विषय परिवर्तन किया एवं अन्य वक्ताओं ने विषय को विविध आयामों से समृद्ध किया। वामदेव संस्कृत महाविद्यालय बांदा के सहायक व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ0 रत्नेश कुमार त्रिवेदी रहे। संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ0 संदीप कुमार द्विवेदी ने संचालन किया। सह सचिव के रूप में डॉ0 समीर कुमार गुप्ता रहे। संगोष्ठी रिपोर्टियर के रूप में डॉ0 धनंजय कुशवाहा रहे। सभी अतिथियों एवं वक्ताओं को अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिह्न से सम्मानित किया गया तथा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर डॉ0 निधीश कुमार सिंह, प्राची गोस्वामी, डॉ0 नीरज द्विवेदी, डॉ0 रमाशंकर पांडेय, डॉ0 मधुप कुमार, शोधछात्र योगेश अवस्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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