परशुराम सेना ब्रह्मवाहिनी का हिन्दू महासभा में हुआ विलय

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। परशुराम सेना ब्रह्मवाहिनी ने हिंदू सनातन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। समस्त पदाधिकारी ने हिंदू महासभा में पद ग्रहण किया।
मंगलवार को राष्ट्रीय परशुराम सेना (ब्रह्मवाहिनी) के तत्वाधान में मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हिंदू संवाद समारोह का आयोजन कर हिंदू महासभा में विलय किया। पंचालघाट रोड पर स्थित एक सभागार में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। साहस इण्डिया गु्रप के अध्यक्ष सुबोध शुक्ला, हिंदू राष्ट्र संगठन से देवेश नारायण अवस्थी, हिंदू महासभा के युवा प्रदेश अध्यक्ष विमलेश मिश्रा, हिंदू महासभा के जिलाध्यक्ष क्रांति पाठक, ब्रह्ममंच जिलाध्यक्ष अमन दुबे समेत आचार्य प्रदीप नारायण शुक्ला व संजीव कुमार दुबे कथा व्यास मौजूद रहे। युवा प्रदेश अध्यक्ष विमलेश मिश्रा ने हिंदुत्व के सम्मान में हुंकार भरी एवं हिन्दू चेतना को जागृत करने का वीणा उठाया। सुबोध शुक्ला ने कहा कि आज युवाओं को लाचार बनने का समय नहीं है, युवा ही जब खाने की पंक्ति में खड़ा दिखाई देगा तो देश का विकास कैसे संभव होगा। युवा तो अपने पौरुष से समाज की दिशा और दशा दोनों को बदलने का कार्य करें, तब कहीं भविष्य में नए आयाम स्थापित होंगे। जिसमें देवेश नारायण अवस्थी ने कहा कि हमें अपने कार्य को ही धर्म मानना होगा ,धर्म कोई वस्तु नहीं है बल्कि धर्म वह है जिससे कि सनातन का गौरव बढ़े और युवाओं को ही यदि अपने धर्म की जानकारी नहीं होगी तो नवनिर्माण कैसे संभव होगा। सबसे पहला धर्म हमारा अध्यात्म और परिवार को सही राय देना और कहा कि हर एक सनातनी को तिलक अवश्य लगाना चाहिए। महामंत्री कथाव्यास संजीव दुबे ने संगठित होने की बात कही और अनमोल पांडे के साथ सदैव खड़े रहकर कार्य करने हेतु आश्वस्त किया। परशुराम सेना ब्रह्मवाहिनी के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्यों ने प्रदेश अध्यक्ष विमलेश मिश्रा एवं जिलाध्यक्ष क्रांति पाठक के नेतृत्व में हिंदू महासभा में सदस्यता ग्रहण की। अमित कुमार दीक्षित को हिंदू महासभा फतेहगढ़ नगर महामंत्री एवं अनमोल सनातनी ने नगर अध्यक्ष का पद ग्रहण किया। सभी को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। संचालन अनमोल सनातनी ने किया। इस अवसर पर पुष्पेंद्र कटियार, निखिल अग्निहोत्री, अक्षय दुबे, वैभव दीक्षित, आरुष शुक्ला, निर्भय कश्यप, शिवम शुक्ला, अनमोल बाल्मीक, ऋषभ कश्यप समेत लगभग दो दर्ज लोगों ने हिन्दू महासभा की सदस्यता लेते हुए सनातन का विस्तार करने पर चर्चा की।

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