मेरठ STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार शामली में हुए एनकाउंटर में शहीद हो गए हैं. सुनील कुमार अपने साथियों के साथ बदमाश अरशद का एनकाउंटर करने गए थे. इस दौरान उन्हें भी तीन गोलियां लग गई हैं. गोली लगने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है.
मेरठ STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने मंगलवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. सोमवार रात शामली में एक लाख के इनामी बदमाश अरशद और उसके तीन साथियों के साथ हुई मुठभेड़ में सुनील कुमार को तीन गोलियां लगी थीं. इनमें से दो गोलियां पेट में और एक लीवर में लगी थी. गंभीर हालत में उन्हें तुरंत मेदांता अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. सुनील कुमार 1998 से स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का हिस्सा थे और 2007 से मेरठ एसटीएफ इकाई में तैनात थे. अपने 16 सालों के कार्यकाल में उन्होंने कई खतरनाक अपराधियों का एनकाउंटर किया. 2008 में पांच लाख के इनामी बदमाश अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया को ढेर करने वाली टीम में सुनील कुमार शामिल थे. 2012-13 में उन्होंने एक लाख के इनामी बदमाश सुशील उर्फ मूंछ और भूपेंद्र बाफर को गिरफ्तार किया था.
अनिल दुजाना का किया था एनकाउंटर
2019 में सवा लाख के इनामी आदेश बालियान और 2023 में मेरठ के थाना जानी क्षेत्र में गैंगस्टर अनिल दुजाना को मुठभेड़ में ढेर किया. हाल ही में 2024 में, उन्होंने मेरठ के टीपी नगर क्षेत्र में 50 हजार के इनामी शूटर सोनू मटका को मुठभेड़ में मार गिराने वाली टीम का नेतृत्व किया. उनकी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. सुनील कुमार को 2011 में उनकी वीरता के लिए आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल से प्लाटून कमांडर बनाया गया था.
कई अंग हो गए थे डैमेज
मुठभेड़ में इंस्पेक्टर के पेट में तीन गोली लगी थी. सुनील कुमार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में ले जाया गया है. मेदांता अस्पताल में इंस्पेक्टर सुनील कुमार की सर्जरी की गई. डॉक्टरों ने कहा गोली से लीवर गाल, पेट में खून की बड़ी नस आईवीसी और लिवर डैमेज हो गया था. डॉक्टरों के मुताबिक, उनका ब्लड प्रेशर भी ऊपर नीचे हो रहा था. इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने करीब 36 घंटे तक जिंदगी मौत से लड़ने के बाद संसार को अलविदा कहा. उनका रिटायरमेंट 2030 में था.
बहादुरी से जीते कई मैडल
शहीद इंस्पेक्टर सुनील सिंह मेरठ जिले के इकली के मसूरी गांव के रहने वाले थे. उनके पिता चरण सिंह और माता का पहले ही निधन हो चुका है. बड़े भाई अनिल काकरान गांव में खेती करते हैं. परिवार में पत्नी मुनेश, बेटा मनजीत उर्फ मोनू और बेटी नेहा हैं. दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है. सुनील सिंह 1 सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. स्पेशल टॉक्स फॉर का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर हरियाणा में कमांडो कोर्स की ट्रेनिंग ली. 1 जनवरी 2009 को सुनील कुमार ने एसटीएफ ज्वाइन किया. 16 साल से वह एसटीएफ में तैनात थे. सुनील कुमार 7 अगस्त 2002 को हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोट हुए. इसके बाद 13 मार्च 2008 को फतेहपुर में हुई पुलिस मुठभेड़ में ओम प्रकाश उर्फ अमर केवट को मार गिराया था. इस मुठभेड़ में सुनील सिंह ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. इसके लिए उन्हें 16 सितंबर 2011 को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल से PAC में प्लाटून कमांडर बना दिया गया था. 22 अप्रैल 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोट हुए थे.