फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। 22वें मानस सम्मेलन में विशेष उत्सव के अंतर्गत सीता राम विवाह में कु0 आस्था दुबे जबलपुर से पधारी ने जनकपुर (मिथिला) में श्री राम की मर्यादा पुष्प वाटिका में गौरी पूजन, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर एवं विवाह भारतीय संस्कृत में विवाह गीत, मंगल गीत एवं लोक गीतों के साथ गोस्वामी तुलसीदास की चौपाइयों के द्वारा रामकथा में अमृत वर्षा की। मनीष तिवारी ने श्रीराम विवाह भारतीय संस्कृति का आदर्श विवाह कहा जो परंपरागत आज भी चला आ रहा है। वर्तमान समय में संस्कृत के प्रभाव में भारतीय संस्कृति को बचाना, अपने परिवार और समाज में भारतीय संस्कार बच्चों को देना और सनातन संस्कृति को संरक्षण दे, मानस विदुषी साधना शर्मा ने हनुमान जी का लंका में प्रवेश सुरसा से संवाद एवं वीर सैनिकों को युद्ध में परास्त करना, उनके कार्यशैली और व्यक्तित्व पर प्रभावित तुलसीदास ने मानस ग्रंथ सुंदरकांड में वर्णन किया। मानव विद्वान अरिमर्दन शास्त्री, अरविंद चतुर्वेदी, आचार्य सर्वेश शुक्ला ने सीता राम सीता विवाह पर वेद मंत्रो का पाठ किया और वैदिक रीति से विवाह संपन्न कराया। जन कल्याण के लिए माता केकई ने श्रीराम को वन गमन के लिए भेजा था, उसी समय धर्म की स्थापना एवं मानव सभ्यता को राक्षसों से बचने के लिए राम को वन भेजा था। दिल्ली से पधारी प्रीति शर्मा श्रीराम कथा की मर्यादा और सीता जी के जीवन पर भारतीय जीवन शैली का अपनानें को कहा। डा0 रामबाबू पाठक ने समरसता में शबरी के झूठे बेर प्रसंग के साथ अपने विचार व्यक्त कर मानस ग्रंथ की व्याख्या की। मानस विद्वान मनीष तिवारी ने श्रीराम राज्याभिषेक कराया। प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक का दृश्य अत्यंत मनमोहक और पवित्र है। वशिष्ठ मुनि के रूप में बृजकिशोर सिंह किशोर ने प्रभु राम का तिलक किए जाने के बाद, प्रभु श्रीराम का राजा के रूप में भक्तों ने प्रभु श्री राम के चरणों में पुष्प अर्पित किए। आयोजन समिति के सदस्य भारत सिंह, बृज किशोर सिंह, राजेश निराला, मीडिया प्रभारी राहुल कनौजिया, शकुंतला कनौजिया, शारदा भदौरिया, गगन सिंह, चंदन सिंह, कल्लू, गिरिराज सिंह, रविंद्र भदोरिया ने श्रीराम राम अभिषेक दरबार का पूजन करके देव दिवाली के साथ खुशियां मनाई। आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ मानव सम्मेलन का विराम आचार्यो ने सर्वे भवंतु सुखना सनातन धर्म की जय विश्व का कल्याण हो जयकारे के साथ कथा को विराम दिया।
श्रीराम राज्याभिषेक के साथ 22वें मानस सम्मेलन का हुआ विराम
