फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। मुस्लिमो की वक्फ अपनी संपत्ति है, स्कूल, अस्पताल, मदरसे के लिए वक्फ की जमीन होती है और यह जमीनें मुसलमानों की दान की हुई जमीनें है जो अल्लाह के लिए दान करी जाती है, उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ है पसमांदा लोगों की तरक्की, उसकी हिफाजत के लिए वक्फ का गठन हुआ। दरगाह बोर्ड की मांग हमने रखी है। जिसमें 42 नियम है जिसे भी लागू किया जाए। लोको दरगाह के नायब सज्जादा नशीन शाह मुहम्मद वसीम ने कहा कि पुरानी सरकारो में दरगाहो, खानकाहो पर काफी जुर्म व शोषण किए है। चाहिए कि संविधान मुसलमानों के हुकूक की आर्टिकल 14, 25, 26 जिस बुनियादी तौर पर इजाजत देता है इसलिए वक्फ में कोई छेडख़ानी नहीं होनी चाहिए। भारत में अपनी जायदाद पर जितना हक सिखों और हिंदुओं का है, उतना ही मुसलमानों का है। वक्फ पर मौजूदा कानून भारतीय संविधान के तहत आता है, जो धर्मों की स्वतंत्रता के कानून के अंतर्गत आता है और कहा संविधान के तहत सभी नागरिकों के हक का मामला।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ मुसलमानों का नहीं, बल्कि देश के संविधान के तहत सभी नागरिकों के हक का मामला है। हमें इस पर कोई एतराज नहीं है कि सिख अपनी जायदाद चलाते हैं और हिंदू भी स्वतंत्र हैं, लेकिन जितना हक हिंदुओं और सिखों का है, उतना ही मुसलमानों का भी है। उन्होंने ने कहा वक्फ संशोधन बिल में एक प्रमुख बदलाव यह है कि दो गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल किया जाएगा और इसमें सरकार का प्रतिनिधि भी हो सकता है, जो मुस्लिम न हो, यह भी चिंता का विषय है। शाह मुहम्मद वसीम ने इसे लेकर कहा कि यह बिल मुसलमानों के अधिकारों को कमजोर कर सकता है।
सभी की राय से बने वक्फ विधेयक और दरगाह बोर्ड एक्ट भी लागू हो: नायब सज्जादा नशीन
