फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। सरकार ने केन्द्रीय कमचारियों के लिए शुरू की गयी एकीकृत पेंशन योजना यूपीएस के लिए विकल्प चयन की अन्तिम तारीख 30 जून से बढ़ाकर 30 सितम्बर कर दी है।
अटेवा के प्रदेश संयुक्त मंत्री ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सरकार को गम्भीरता पूर्वक विचार करना चाहिए कि 1 अप्रैल से लागू यूपीएस स्कीम का विकल्प चयन के लिए सरकार ने जागरूकता अभियान चलाये तथा विभिन्न विभागों में पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से एनपीएस से यूपीएस में जाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। यहां तक कि यूपीएस कैलकुलेटर भी जारी कर दिया। जिससे कर्मचारी यूपीएस में मिलने वाली पेंशन की गणना कर सकें, जो असम्भव है, क्योंकि यूपीएस में पेंशन इन्डिविजुअल व बेंचमार्क कार्पस पर भी आधारित है जो सेवानिवृत पर ही निर्धारित होगा। इन सभी प्रयासों के बाद भी लगभग 30 लाख केन्दीय कर्मचारियों में से केवल दस लाख से भी कम कर्मचारियों ने यूपीएस का विकल्प चयन किया है। इसमें भी वे कर्मचारी हैं जो दो या चार वर्ष में सेवानिवृत हो रहे हैं या सेवानिवृत हो चुके हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि विकल्प चयन करने वाले कर्मचारी ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि एनपीएस से यूपीएस में जाने पर आने वाली विभिन्न तकनीकी समस्याओं के समाधान हेतु विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई जानकारी ही नहीं है। सरकार तीन महीने ही नहीं तीस महीने भी यूपीएस विकल्प चयन की तिथि बढ़ा दे फिर भी कर्मचारी एनपीएस व यूपीएस में सेवानिवृत पर कौन बेहतर होगी का चुनाव नहीं कर पायेंगे। शेयर मार्केट बेस कार्पस पर आधारित दोनों पेंशन स्कीम में कौन फायदेमंद साबित होगी इसका ऑकलन सेवानिवृत से 25 या 30 वर्ष पहले लगाना कर्मचारियों के लिए ही नहीं सर्वसम्मपन्न तकनीकी व आर्थिक विषेशज्ञों के समूह वाली सरकार के लिए भी नामुमकिन है। यूपीएस में पूरी सेवाकाल में कर्मचारी व सरकार के प्रतिमाह अंशदान से बना करोड़ों का कार्पस सरकार को देने के बाद भी मूलवेतन की लगभग 50 प्रतिशत पेंशन की गारन्टी नहीं, क्योंकि यूपीएस में पेंशन कर्मचारी के सेवाकाल, इण्डिविजुअल कार्पस व बेंचमार्क कार्पस पर निर्भर होगी। इण्डिविजुअल कार्पस के बेंचमार्क कार्पस से कम होने व सेवाकाल 25 वर्ष से कम होने की स्थिति में पेंशन भी 50 प्रतिशत से कम होगी। पेंशन के लिए यूपीएस में करोड़ो रूपयों का कार्पस सरकार को देने के बाद कर्मचारी सेवानिवृत के बाद ज्यादा दिनों तक पेंशन न ले पाया तो पारिवारिक पेंशन मूलवेतन का 30 प्रतिषत ही रह जायेगी और करोड़ो का कार्पस पेंशन के नाम पर सरकार जप्त कर लेगी। यूपीएस को कर्मचारियों ने ऑकलन कर पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है, जबकि एनपीएस को कर्मचारी पहले ही अस्वीकार कर चुके हैं। कर्मचारियों ने विस्तृत विष्लेशण कर ऑकलन कर लिया हैं कि उनके लिए न यूपीएस लाभकारी है और न ही एनपीएस उनके लिए तो सिर्फ ओपीएस ही लाभकारी है। सरकार एनपीएस, यूपीएस और ओपीएस तीनों पेंशन स्कीम में से विकल्प चयन मात्र तीन दिन के लिए खोलकर देख ले कर्मचारी स्वयं बता देगा, उनके लिए तीनों पेंषन स्कीम में बेहतर कौन है।
सरकार को गम्भीरता पूर्वक विचार करना चाहिए कि अश्योर्ड पेंशन के नाम जो पेंशन योजना लायी गयी थी, उसकी सच्चाई का पता कर्मचारियों को बहुत जल्दी हो गया और उनकी यह योजना पूरी तरह से रिजेक्ट हो गयी है। इसलिए कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी सामाजिक सुरक्षा की गारन्टी पुरानी पेंशन की बहाली करें। जिससे सेवानिवृत कर्मचारी आत्मसम्मान व स्वाभिमान से जीवन यापन कर सके। यही कल्याणकारी राज्य की अवधारणा है।
तीन महीने नहीं तीस महीने बाद भी स्वीकार्य नहीं होगी यूपीएस: ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी
