जहां वेद नहीं होते वहां वेदना होती है: चन्द्रदेव शास्त्री

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में मेला श्रीरामनगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र में चरित्र निर्माण शिविर में प्रात:काल यज्ञ किया गया। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने बताया कि वेद ईश्वर की वाणी है, परमपिता परमात्मा ने सृष्टि के आदि में मनुष्यमात्र के कल्याण के लिए चार ऋषियों के अंत:करण में वेदों का ज्ञान दिया। वेद ईश्वर का संविधान है, जैसे किसी देश के संविधान का पालन करने वाला व्यक्ति उस देश का श्रेष्ठ नागरिक कहलाता है, ऐसे ही ईश्वरीय संविधान वेद की आज्ञा का पालन करने वाला मनुष्य भगवान की कृपा को प्राप्त करता है। आचार्य प्रदीप शास्त्री ने बताया कि जहां वेद नहीं होते वहीं वेदना होती है। संस्कृत व्याकरण के आधार पर वेद शब्द चार धातुओं से बना है, विद् सत्तायाम्य, विद् ज्ञाने, विद् विचारणे, विद् लृ लाभे, जिसका अर्थ होता है-वेद सत्ता के ज्ञान से विचार करने पर लाभ मिलता है। ईश्वर का सही स्वरूप हमें वेदों से ही मिलता है। इसलिए संसार की समस्त सत्य विद्याओं को जानने के लिए वेदों को पढऩा-पढ़ाना और सुनना-सुनाना प्रत्येक मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। पण्डित धर्मवीर आर्य, पण्डित धनीराम बेधडक़, पण्डित शिवनारायण आर्य आदि ने वेद महिमा एवं ईश्वर महिमा के भजनों एवं उपदेशों से श्रोताओं को वेद के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। स्वामी महेन्द्रानंद ने मंच का संचालन किया। सभा में उत्कर्ष आर्य, मंगलम आर्य, डॉ0 सत्यम आर्य, उदयराज आर्य, संदीप आर्य, हरिओम शास्त्री, शिशुपाल आर्य, अजीत आर्य, रत्नेश द्विवेदी, उपासना कटियार, उदिता आर्या, अमृता आर्या आदि उपस्थित रहे।

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