हरदोई, समृद्धि न्यूज। जनपद हरदोई की सीएचसी शाहाबाद में व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानी का आलम यह है कि एक साधारण वार्ड ब्वॉय और एक संविदा लैब टेक्नीशियन ने पूरे अस्पताल को अपनी निजी संपत्ति में बदल रखा है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर यहाँ खुलेआम जनता का शोषण किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हैं।
शाहाबाद सीएचसी के वार्ड ब्वॉय नीरज और संविदा लैब टेक्नीशियन कुलदीप यादव पर गंभीर आरोप हैं कि दोनों की मिलीभगत से अस्पताल के संसाधनों और मरीजों का खुलेआम दोहन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि सीएचसी के सामने चल रही निजी लैब का संचालन स्वयं कुलदीप यादव द्वारा किया जा रहा है। यह लैब नीरज के मकान में संचालित है, और चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल की आधिकारिक जांचों की जगह मरीजों को इसी निजी लैब में जांच कराने के लिए मजबूर किया जाता है।
सरकारी लैब की जगह निजी लैब में जांच – मरीजों से खुला खेल
सूत्रों के अनुसार, सीएचसी अधीक्षक स्वयं सरकारी लैब की जगह कुलदीप की निजी लैब को बढ़ावा दे रहे हैं। अस्पताल में भर्ती या ओपीडी मरीजों की जांचें इसी लैब में करवाई जाती हैं, लेकिन अस्पताल के रिकॉर्ड में उनके नाम और जांच सरकारी लैब में दर्ज कर दी जाती हैं। इस फर्जीवाड़े से हर महीने लाखों रुपये का अवैध लाभ कमाया जा रहा है।
जब इस अनियमितता की शिकायतें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय तक पहुंचती हैं, तो संबंधित अधिकारियों द्वारा हर बार जांच को दबा दिया जाता है। यह स्पष्ट करता है कि भ्रष्टाचार की यह जड़ें सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि उच्चाधिकारियों तक फैली हुई हैं।
डिलीवरी बाहर भेजने का खेल – प्रति केस 5 हजार की कमाई
सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि शाहाबाद सीएचसी में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी जानबूझकर बाहर के प्राइवेट अस्पतालों में करवाई जाती हैं। इसके पीछे वार्ड ब्वॉय नीरज और संविदा कर्मी कुलदीप यादव का गठजोड़ बताया जा रहा है। एक-एक डिलीवरी के एवज में लगभग पांच हजार रुपये तक की वसूली की जाती है।
हर महीने सीएचसी से दर्जनों प्रसव प्राइवेट अस्पतालों में कराए जाते हैं, जिससे लाखों रुपये की अवैध आमदनी होती है। जबकि शासन ने साफ निर्देश दे रखे हैं कि प्रत्येक सीएचसी में 24 घंटे डिलीवरी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं और गर्भवती महिलाओं को किसी भी स्थिति में बाहर न भेजा जाए।
वार्ड ब्वॉय नीरज बना ‘छोटा अधीक्षक’
वार्ड ब्वॉय नीरज पिछले 15 वर्षों से सीएचसी शाहाबाद में तैनात है और यहीं जमे हुए हैं। नियमों के अनुसार, एक कर्मचारी को इतने लंबे समय तक एक ही स्थान पर नहीं रखा जा सकता, लेकिन नीरज पर यह नियम लागू नहीं होता।
चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल का लेखा विभाग, जननी सुरक्षा योजना, मातृत्व लाभ योजना जैसी अहम योजनाओं का संचालन भी इसी वार्ड ब्वॉय को सौंपा गया है। बताया जाता है कि नीरज वाउचर बनवाने से लेकर फर्जी बिल तैयार करवाने तक की पूरी प्रक्रिया खुद संभालता है। कई बार तो सीएचसी अधीक्षक भी इन्हीं के इशारों पर काम करते नजर आते हैं।
वार्ड ब्वॉय की संपत्ति पर उठे सवाल – करोड़ों की संपत्ति का मालिक
एक मामूली वार्ड ब्वॉय के पास दो कारें, तीन मकान और करोड़ों की संपत्ति होना आम बात नहीं हो सकती। स्थानीय सूत्र बताते हैं कि नीरज का एक बेटा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और दूसरा बीडीएस की पढ़ाई कर रहा है, जिनकी फीस लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों रुपये में है। सवाल उठता है कि यह पैसा आखिर आया कहां से?
शाहाबाद के लोगों का कहना है कि नीरज ने अपनी पूरी संपत्ति सीएचसी में हुए भ्रष्टाचार और प्राइवेट अस्पतालों के साथ की गई डीलिंग से खड़ी की है।
पाँच वर्षों के बजट ऑडिट की उठी मांग
शासन द्वारा हर वर्ष विभिन्न मदों में सीएचसी शाहाबाद को लाखों रुपये का बजट आवंटित किया जाता है, लेकिन यह पैसा वास्तव में खर्च हुआ या नहीं — इस पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि पिछले पाँच वर्षों का बजट ऑडिट जिलाधिकारी या शासन स्तर से करवाया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
संभावना जताई जा रही है कि अधिकांश भुगतान फर्जी बिलों के माध्यम से निकाल कर हजम कर लिए गए हैं और उन कार्यों का अस्तित्व तक नहीं है जिन पर सरकारी धन खर्च दिखाया गया है।
वार्ड ब्वॉय के छापे – क्या अधिकार प्राप्त हैं?
सीएचसी का यह वार्ड ब्वॉय अब खुद को प्रशासनिक अधिकारी की तरह पेश करता है। अस्पताल के आसपास के मेडिकल स्टोर, झोलाछाप डॉक्टरों और लैबों पर स्वयं छापेमारी करता है। यह सवाल उठता है कि क्या एक वार्ड ब्वॉय को ऐसा कोई अधिकार प्राप्त है? स्थानीय लोग इसे भ्रष्टाचार छिपाने की चाल बताते हैं ताकि वह अपने निजी हितों को सुरक्षित रख सके।
स्थानीयों में आक्रोश, शासन से जांच की मांग
अस्पताल के सामने स्थित मेडिकल स्टोर संचालकों, ग्रामवासियों और मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि डिलीवरी और जांच के नाम पर मरीजों को खुलेआम लूटा जा रहा है। सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद मरीजों को निजी लैब और अस्पताल भेजा जाता है।
लोगों का कहना है कि सीएचसी शाहाबाद में व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानी की शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि वर्षों से चल रहे इस खेल का पर्दाफाश हो सके और जिम्मेदारों पर सख्त कार्यवाही की जाए।
