फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश इसी एक्ट न्यायाधीश डॉ0 अनिल कुमार सिंह ने अभियुक्त सतीश को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व 2.50 लाख रुपये के जुर्माने की सजा से दंडित किया।
विगत 24 वर्ष पूर्व थाना शमशाबाद क्षेत्र के खुडिऩाखार निवासी पीडि़त रामपाल पुत्र लोकनाथ ने दर्ज कराये मुकदमे में दर्शाया था कि ०6 मार्च 2001 को मेरा 8 वर्षीय पुत्र प्रदीप कुमार उर्फ लल्लू रोज की तरह समय करीब 9 बजे सुबह खेलते-खेलते मेरे पड़ोसी सतीशचंद्र पुत्र मदन लाल किसान के घर चला गया था। जब मैं ख्रेत से घर आया, तो मेरी पत्नी ने बताया कि लल्लू सुबह से घर नहीं आया है। मैंने लल्लू को तलाश किया, तो मेरे पड़ोसी रघुवीर पुत्र गुलजारी लाल व प्रेमचंद्र पुत्र नानकराम ने बताया कि तुम्हारे लडक़े लल्लू को दिन में करीब २ बजे सतीशचंद्र के आंगन में खेलते देखा था। उस समय सतीशचंद्र व उसके पिता मदनलाल पुत्र सालिगराम बच्चे के पास मौजूद थे। तुम्हारा पुत्र सतीशचंद्र के पास खेल रहा था। इस पर मैंने मदनलाल व सतीशचंद्र से पूछा, तो बताया कि तुम्हारा लडक़ा आया जरुर था पर वह उसी समय चला गया था। इसके बाद मैंने इधर उधर काफी तलाश किया, मगर कोई पता नहीं चला। 8 मार्च 2001 को गांव के बहुत से लोग एकत्रित हुए और सबने कहा कि पहले सतीशचंद्र के घर में देखा जाये। इस पर मैं व मेरे पड़ोसी रघुवीर, प्रेमचंद्र तथा गांव के बहुत से लोग सतीशचंद्र के घर की तरफ चले, तो सतीश व उनके पिता मदनलाल घर छोडक़र भाग गये। हम लोगों ने सतीशचंद्र के घर में जाकर देखा, तो कमरे के उत्तर तरफ एक पैर लटक रहा था। टार्च जलाकर देखा तो मेरे बच्चे की लाश पडी हुई थी। जो पत्तों से ढकी हुई थी। बच्चे की गर्दन व पेट पर चोट के निशान थे। मेरे पुत्र प्रदीप की आरोपी सतीश व मदन लाल ने हत्या कर दी थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया था। विवेचक ने साक्ष्य गवाह के आधार पर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। बचाव पक्ष की दलील व शासकीय अधिवक्ता की कुशल पैरवी के आधार पर विशेष न्यायाधीश इसी एक्ट न्यायाधीश डॉ0 अनिल कुमार सिंह ने अभियुक्त सतीश को दोषी करार देते धारा 302 के आरोप में सश्रम आजीवन कारावास व दो लाख रुपये का जुर्माना की सजा से दंडित किया है। जुर्माना अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। धारा 201 के आरोप में सात वर्ष के कठोर कारावास व ५० हजार रुपये के जुर्माने की सजा से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अभियुक्त पर लगाये गये जुर्माने की राशि में से यदि वसूल की जाती है तो जुर्माने का 80 प्रतिशत पीडि़त परिजनों को दिया जायेगा।
हत्या के मामले में अभियुक्त को आजीवन कारावास, 2.50 लाख का जुर्माना
