फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। महाकुंभ के अंतर्गत मेला रामनगरिया स्थित सांस्कृतिक पंडाल में संस्कार भारती के मंच समरसता विषय पर नाटक मंत्र की संजीव प्रस्तुति की गई। उपन्यासकार, कहानीकार मुंशी प्रेमचंद ने निर्दयी डॉक्टर चड्ढा के जीवन में भगत एवं पत्नी उनके सामाजिक जीवन की कहानी द्वारा छोटे बड़े लोगों के मध्य समरसता का संदेश मंत्र नाटक देता है। जिसमें सामाजिक जीवन भगत के सजीव जीवन का चित्र किया गया। अंधविश्वास को मिटाने का भाव एवं समरसता का भाव प्रदर्शित किया गया। रामनगरिया मेला में सांस्कृतिक पंडाल पर कादरीगेट थानाध्यक्ष एवं अध्यक्ष डॉ0 नवनीत गुप्ता द्वारा भरत मुनि स्मृति दिवस के अवसर पर नाट्य शास्त्र प्रणेता भरत मुनि के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर हुआ। संस्कार भारती गीत का गायन कोषाध्यक्ष नरेन्द्र नाथ मिश्रा के द्वारा हुआ। मंच पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी मंत्र का नाट्य रूपांतरण प्रदर्शित किया गया। सूत्रधार अरविंद दीक्षित द्वारा नाटक मंत्र की भूमिका प्रस्तुत की गई। भगत अपने बीमार बच्चे को लेकर डॉ0 चड्ढा के पास जाता है और डॉक्टर साहब खेलने जा रहे होते हैं, इस कारण से वह बच्चे को नहीं देखते हैं। वह अपनी पगड़ी उतार कर डॉक्टर के पैरों पर रखने के बावजूद डॉक्टर बगैर निगाह डालें कल सवेरे आओ की कहकर चले जाते हैं। भगत का बेटा रोते- रोते घर वापस आता है और घर पहुंचते ही उसका हंसता खेलता बालक अपनी जीवन लीला समाप्त कर भगवान के पास चला जाता है। पति-पत्नी बहुत रोते हैं इसके बाद डॉक्टर के बेटे की जन्मदिन की पार्टी को प्रदर्शित किया गया। जिसमें कैलाश के मित्र और डॉक्टर साहब के मित्र सम्मिलित होते हैं। नाटक में डाक्टर का चरित्र दिखाया गया है। नाटक की भूरि-भूरि प्रशंसा की। पूरा पंडाल नाटक के अंत पर तालिया से गुंजायमान हो गया। डॉक्टर चड्ढा का अभिनय प्रांतीय महामंत्री सुरेंद्र पांडे ने किया। भगत का विनय नवीन मिश्रा डब्बू ने किया। नारायणी का फाल्गुनी ने, भगत की पत्नी का सिमरन ने, डॉक्टर के मित्र में आदेश अवस्थी और नरेंद्र नाथ मिश्रा ने, कैलाश के मित्र में उज्जवल पांडे अनुभव सारस्वत ने चौकीदार का अभिनय अरविंद दीक्षित में किया हर्षित मिश्रा श्याम श्रीवास्तव, रविंद्र भदोरिया, समरेंद्र शुक्ला कवि ने नाटक में सहयोग किया। इस अवसर पर दीपक रंजन सक्सेना, डॉ0 सर्वेश श्रीवास्तव, साधना श्रीवास्तव, अभिनव श्रीवास्तव, कुलभूषण श्रीवास्तव, शुभ दीक्षित आदि लोग उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक पाण्डाल में मुंशी प्रेमचन्द्र का नाटक प्रस्तुत कर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
