समृद्धि न्यूज। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन के दौरान शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी को सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में बताया। पाकिस्तान का नाम लिए बिना राजनाथ ने सीमा पार आतंकवाद के बारे में भारत की चिंताओं को उजागर किया और एससीओ सदस्य देशों से सैद्धांतिक रुख अपनाने का आग्रह किया।
#WATCH | Qingdao, China | "I believe that the biggest challenges that we are facing in our region are related to peace, security and trust-deficit. The root cause of these problems is increasing radicalisation, extremism and terrorism. Peace and prosperity cannot co-exist with… pic.twitter.com/7PxVOPRur1
— ANI (@ANI) June 26, 2025
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ शहर में चल रह एससीओ शंघाई सहयोग संगठन रक्षा मंत्रियों की बैठक में मेजबान चीन और पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर खूब सुनाया। उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ एक्शन लेते रहेंगे। निर्दोषों का खून बहाने वालों को नहीं छोड़ेंगे। कुछ देश आतंकवाद के समर्थक हैं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी इस अहम बैठक में मौजूद थे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तल्ख रिश्तों के बीच दोनों नेता पहली बार किसी मंच पर एक साथ नजर आए।
#WATCH | Qingdao, China | "…Some countries use cross-border terrorism as an instrument of policy and provide shelter to terrorists. There should be no place for such double standards. SCO should not hesitate to criticise such nations, " says Defence Minister Rajnath Singh at… pic.twitter.com/08Y8vHcv1x
— ANI (@ANI) June 26, 2025
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तानी समकक्ष के सामने ही राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर का खुलकर जिक्र किया और कहा कि हमारा आतंकवाद के खिलाफ एक्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा भारत का मानना है कि रिफॉर्मेड मल्टिलेटरिजम देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता।
राजनाथ सिंह ने कहा कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। राजनाथ की यह टिप्पणी 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के कुछ सप्ताह बाद आई। हमले में एक नेपाली नागरिक और 26 लोगों की जान चली गई थी। हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। यह संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक छद्म समूह है।
उन्होंने आगे कहा असल में वैश्विक व्यवस्था या बहुपक्षवाद का मूल विचार में यही धारणा है कि दोनों को अपने पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा। यह हमारी सदियों पुरानी कहावत है जो सर्वे जना सुखिनो भवन्तु को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा मेरा यह भी मानना है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हुई हैं। इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में इजाफा है। शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।