तीसरी बार रेपो रेट में कमी करके देश में उपभोक्ता व आम जनता को मिली राहत

फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एमपीसी बैठक में लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कमी करके देश में उत्पादन और उपभोग दोनों को बढ़ाकर एक तरफ उद्योगों को और दूसरी तरफ उपभोक्ताओं (आम जनता) को काफी राहत पहुंचाकर देश के आर्थिक विकास को और तीव्र गति से आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से रिटायर्ड, अर्थशास्त्र के जानकार और भारतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रदेश संगठन मंत्री/प्रदेश सह-मीडिया प्रभारी मुकेश गुप्ता ने कहा कि पहले 7 फरवरी, 9 अप्रैल और फिर आज रेपो रेट में कमी की गई है। इन तीनों में सबसे ज्यादा शुक्रवार को यह कमी 0.5 प्रतिशत की की गई है। यह रेपो रेट 6 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत हो गई है। रेपो रेट वह ब्याज की दर होती है। जिस ब्याज दर पर भारतीय रिजर्व बैंक (देश की केंद्रीय बैंक) व्यावसायिक बैंकों को धन उधार देता है और फिर उस धन को ये व्यावसायिक बैंकें जनता को इस दर से अधिक (कुछ सरकारी योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाले सस्ते लोन को छोडक़र) ब्याज दर पर ऋण के रूप में देती है। लगातार रेपो रेट में कमी होने से व्यवसायिक बैंकें कम ब्याज दरों पर भारतीय रिजर्व बैंक से धन उठाएंगी और फिर उस धन को अपने ग्राहकों को पहले से काफी कम ब्याज दरों पर ऋण वितरित करेंगी तथा व्यावसायिक बैंकों के पास आरबीआई को कम ब्याज देने से एक अतिरिक्त धन का फंड उपलब्ध होगा। जिससे बैंकें इस फंड को और भी ज्यादा मात्रा में जनता में ऋण के रूप में वितरित कर सकेंगी। इसका प्रभाव बैंक ग्राहकों (उपभोक्ताओं) पर इस प्रकार पड़ेगा कि उनकी उनके द्वारा लिए गए ऋण की ईएमआई पहले से काफी कम होगी। इससे उपभोक्ताओं (बैंक ग्राहकों) की ईएमआई में हुई बचत से यह लोग अन्य उत्पाद खरीद सकेंगे और बैंकों द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता ऋणों होम लोन और वाहन लोन की मात्रा में वृद्धि होगी जो बैंकों के लिए भी अच्छा होगा। इस प्रकार इस ऋण को लेकर लोग मकान खरीदेंगे। मकान बनवाएंगे, वाहन खरीदेंगे व घरेलू अन्य उपभोग के सामानों को खरीदेंगे। ज्यादा लोन की मात्रा बढऩे से लोगों की क्रय शक्ति बढऩे से बाजार में ज्यादा उत्पाद बिकेंगे। जिससे उद्योगों को अपनी उत्पादन क्षमता भी बढ़ानी पड़ेगी। इसके लिए ज्यादा मेन पावर की जरूरत होने की वजह से एक तरफ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। दूसरी तरफ हमारे उद्योग धंधों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होने की वजह से उनके उत्पादों की लागत कम आने से हमारे उत्पाद अंतरराष्ट्रीय औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में सामना कर सकेंगे और उद्योग धंधे काफी तरक्की करेंगे। इस प्रकार आरबीआई के इस कदम से सीधा सकारात्मक प्रभाव हमारे व्यावसायिक बैंकों, बैंक ग्राहकों (उपभोक्ताओं) तथा उद्योग धंधों पर पड़ेगा। वैश्विक आर्थिक ग्रोथ में सुस्ती होने के बावजूद दुनिया में भारत की आर्थिक ग्रोथ सबसे तेज होने की उम्मीद जागेगी और भारत में नए निवेशकों के लिए भरपूर मौके भी मिलेंगे, हमारा देश आर्थिक विकास की एक नई ऊंचाई भी छूएगा।

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