डा0 प्रभात अवस्थी की पुस्तक लोकदृष्टि की साहित्यकारों ने की समीक्षा

जब तक दृष्टि सुधारण नहीं होगा, तब तक लोक की शुद्धता सुधार पर विचार करना व्यर्थ: डा0 रवीन्द्र शुक्ला
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। हिंदी साहित्य भारती जिला इकाई के तत्वाधान में डॉ0 प्रभात अवस्थी की पुस्तक लोकदृष्टि की समीक्षा कार्यक्रम का आयोजन रस्तोगी इंटर कॉलेज के सभागार में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री एवं हिंदी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ0 रवींद्र शुक्ल एवं विशिष्ट अतिथि डॉ0 श्रीराम निवास शुक्ल पूर्व निदेशक राजभाषा भारत सरकार एवं डा0 पंकज सिंह अपर आयुक्त जीएसटी, हिंदी साहित्य भारती के प्रदेश महामंत्री डॉ0 अमरनाथ दुबे मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महंत ईश्वरदास महाराज ने की। संचालन साहित्यकार डॉ0 संतोष कुमार पांडे ने किया। सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम शुरु हुआ। सरस्वती वंदना प्रीति पवन तिवारी ने प्रस्तुत की एवं कवित्री स्मृति अग्निहोत्री ने भगवान राम का स्तुति गान प्रस्तुत किया।
पुस्तक लोक दृष्टि की समीक्षा प्रसिद्ध समीक्षक डॉ0 कृष्णकांत अक्षर चिति की व्याख्या करते हुए उसके शास्त्रीय महत्व की चर्चा की। समीक्षक के रूप में पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ0 राजकुमार सिंह ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए पुस्तक की कमियों को भी इंगित किया और भाषाई स्वतंत्रता की ओर ध्यान आकृष्ट किया। समीक्षक प्रोफेसर डॉ0 रामबाबू मिश्रा रत्नेश ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विचार गहन मंथन के बाद ही शब्द के रूप में प्रकट होता है। डॉ मधुबाला अवस्थी ने लोकदृष्टि एक चेतना है, हिंदी संबंधो को साधती है, पर विस्तार से चर्चा की। समीक्षका प्राचार्य डॉ0 शशिकिरण सिंह ने पुस्तक लोक दृष्टि की समीक्षा करते हुए कहा कि लोक चिंतन के बिना लोक साधना संभव नहीं। मुख्य अतिथि डा0 रवींद्र शुक्ल ने पुस्तक समीक्षा करते हुए लोक जीवन महत्व पर प्रकाश डालते कहा कि जब तक दृष्टि सुधारण नहीं होगा, तब तक लोक की शुद्धता सुधार पर विचार करना व्यर्थ है। साथ ही उन्होंने भारत पर आगामी संकटों की तरफ भी ध्यानाकर्षण करते हुए एकात्मता के सूत्र से भारत की संस्कृति को बचाना है। आभार प्रधानाचार्य संतोष त्रिपाठी ने प्रकट किया। इस अवसर पर डॉ0 शशिप्रभा अग्निहोत्री, पूर्व प्राचार्य डॉ0 आलोक शुक्ला, डॉ0 पीडी शुक्ला, राजेंद्र कुमार त्रिपाठी, पियूष त्रिपाठी, प्रवीन मिश्र, अर्चना मिश्रा, सरस्वती वर्मा, अर्चना अवस्थी, डॉ प्रज्ञा दीक्षित, प्रवीन कटियार, अनुराग अग्रवाल, संजय गर्ग, प्रवीन पाल, पंकज पाल, अनिल सिंह, देवेश नारायन अवस्थी, श्वेता दुबे, बबिता पाठक, स्मृति आदि साहित्यकार और सामाजिक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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