आर्थिक तंगी: बच्चों का पेट नहीं भर पायी मां, जहर खाकर दी जान

एटा। थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव नगला पवल में गरीबी से तंग एक विधवा महिला ने जहर खाकर जान दे दी। अंतिम संस्कार की व्यवस्था परिवार के पास नहीं थी। आसपास के लोगों और रिश्तेदारों के सहयोग से मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। उसके 6 बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। बेटे के बाद बहू का सहारा भी बूढ़ी सास से छिन गया।गांव नगला पवल में रहने वाली रामबेटी ने बताया कि गरीबी से परेशान पुत्रवधू सुमन ने रविवार की रात जहर खाकर जान दे दी। बताया कि उनके दो बेटे हैं, बड़ा बेटा ओमप्रकाश परिवार सहित दिल्ली में रहकर नौकरी करता है। दूसरा बेटा ओमकार उर्फ बबलू गांव में रहकर खेतों में मजदूरी करता था। उसकी पत्नी सुमन पूरा साथ देती थी और दोनों मिलकर घर का खर्च चलाते थे। 2022 के अंत में बबलू की तबीयत खराब हो गई। हालत इतनी बिगड़ी कि एटा के चिकित्सकों ने आगरा के लिए रेफर कर दिया। वहां उपचार के दौरान 19 फरवरी 2023 को उसकी मौत हो गई। इसके बाद पूरे घर की जिम्मेदारी सुमन के ऊपर आ गई। अपना घर तो था मगर खेती के लिए जमीन नहीं थी।

एक रात ऐसी गुजरी की सभी बच्चों के हिस्से में एक भी रोटी नहीं आई

एटा। यह परिवार के लिए एक काली रात से कम नहीं थी। वह रात ऐसी गुजरी की सभी बच्चों के हिस्से में एक-एक रोटी तक नहीं आई। यह सब देखकर महिला भी पूरी तरह से टूट गई थी और जहर खाने के लिए रोने लगी थी। बेटी ने रोने का कारण पूछा। महिला के आखिरी शब्द यही थे कि बेटी इन सभी की जिम्मेदारी अब तुम्हारे हवाले है। घर आई बुआ लक्ष्मी ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। सुमन ही बच्चों, सास की जिम्मेदारी उठाती थी। बताया कि घर में इतना भी अन्न नहीं है अभी भी सभी बच्चों का पेट भर जाए। जानकारी मिलते ही वह भी घर पर पहुंची। भाभी की मौत के बाद उनके आंशू निकल आए।  सास का कहना है कि बहु पर ही जिम्मेदारी थी वह भी हमें छोड़कर चली गई। बच्चों को भी उनके हवाले कर गई है ऐसे में वह बच्चों की जिम्मेदारी कैसे उठा पाएंगी। बताया कि राशनकार्ड में रामबेटी, तीन बच्चों के ही नाम दर्ज है,

 

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