अहंकार ही मनुष्य के विनाश का कारण बनता है-अविचल पाण्डेय

 त्यौरखास में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का छठवां दिन
कम्पिल, समृद्धि न्यूज। गांव त्यौरखास मे चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस की कथा में आचार्य अविचल पाण्डेय ने श्रोताओं को बताया की मानव जीवन कई योनियों के बाद मिलता है। इसलिए मानव जीवन को सतकर्मो में लगाकर सार्थक करना चाहिए।
आचार्य ने कहा व्यास जी के 18 पुराणों में परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इसलिए जहाँ भी गरीब, असहाय लोगों की मदद का मौका मिले। वहां उनकी मदद करनी चाहिए। ऐसा करना भी प्रभु की भक्ति माना जाता है। अहंकार को अपने से दूर रखना चाहिए। अहंकार ही मनुष्य के दुखों को जन्म देता है। विनाश का कारण बनता है। प्रभु की शरण में जाने से मनुष्य के कष्ट दूर होते हैं। जीवन को अच्छे कार्यों मे लगाना चाहिए। इससे इंसान के यश, धन में बढ़ोतरी होती है। घर मे शांति बनी रहती है। जिस घर मे नियमित तौर से प्रभु की भक्ति होती है। वह घर दुनिया की तमाम बाधाओं से दूर रहता है। प्रभु उस घर मे वास करते है। कथा व्यास ने बताया की स्वार्थी लोगों से दूर रहना चाहिए। परेशानी के समय मे वह काम नहीं आते। मित्रता ऐसे लोगों से करनी चाहिएए जो दुख मे भी आपके साथ हों। इस दौरान सैकड़ों की संख्या मे श्रोता मौजूद रहे।

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