झूठा मुकदमा स्पंज कराने के लिए सैनिक अधिकारियों की कर रहा गणेश परिक्रमा

पीडि़त बोला मुकदमे में समझौता न करने पर दर्ज कराया गया झूठा मुकदमा
बोला शीघ्र मुकदमा स्पंज नहीं किया गया, तो आमरण अनशन करने को होगा बाध्य
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। चोरी के मुकदमे में समझौता न करने पर अभियुक्तगणों ने पुलिस से साज कर पीडि़त सैनिक के परिजनों के विरुद्ध झूठा मुकदमा पंजीकृत करा दिया। सैनिक मुकदमा स्पंज कराने के लिए अधिकारियों की गणेश परिक्रमा कर रहा है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पीडि़त का कहना है कि न्याय न मिलने पर वह आमशरण अनशन पर बैठने को बाध्य होगा।
जानकारी के अनुसार पीडि़त विपिन कुमार पुत्र नरेश सिंह ग्राम कुम्हरौर थाना अमृतपुर का निवासी है एवं वर्तमान समय में थल सेना में जम्मू कश्मीर में अपनी सेवा दे रहा है। दिनांक 03.02.2025 को पीडि़त के घर पर चोरी हो गयी थी जिसके सम्बन्ध में पीडि़त के पिता ने दिनांक 12.06.2025 को पुलिस अधीक्षक के आदेश पर थाना अमृतपुर में मुल्जिमान शिवम, बबलू पुत्रगण रघुराज व संतोष पुत्र ओमप्रताप निवासी ग्राम कुम्हरौर के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया था, तभी से उपरोक्त लोग पीडि़त व पीडि़त के परिजनों से रंजिश मानने लगे और अभियुक्तगण शिवम, बबलू व संतोष आदि ने थाना अमृतपुर पुलिस से साज कर पीडि़त के परिजनों के विरूद्ध झूठी एफ0आई0आर0 मु0अ0सं0-160/2025 दिनांक-10.10.2025 को दर्ज करा दी, जबकि सत्यता यह है कि पीडि़त के परिजनों द्वारा मुल्जिमान शिवम प्रताप पुत्र रघुराज सिंह से किसी प्रकार की मारपीट नहीं की गयी। मात्र पेशबन्दी में पीडि़त के पिता नरेश सिंह द्वारा लिखाये गये मुकदमा अपराध सं0-76/2025 में समझौता करने का दबाव बनाने एवं पीडि़त द्वारा समझौता न करने के कारण पीडि़त के परिजनों के विरूद्ध झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया है। जब पीडि़त द्वारा प्रभारी निरीक्षक अमृतपुर मोनू शाक्या व विवेचक से सम्पर्क किया गया, तो मोनू शाक्या थानाध्यक्ष अमृतपुर द्वारा पीडि़त से कहा गया कि तुम्हारी सारी मिलेट्रीगीरी निकाल देंगे व तुम्हारे विरूद्ध भी मुकदमा दर्ज करा देंगे एवं तुम्हारे परिजनों के विरूद्ध लिखे मु0अ0सं0-160/2025 अन्तर्गत धारा-115(2), 352 बी0एन0एस0 में चार्जशीट जरूर लगेगी। अमृतपुर के सभी पत्रकार मिलकर मेरा कुछ नहीं कर पाये, तू मेरा क्या करेगा। इसके बाद पीडि़त तीन-चार बार क्षेत्राधिकारी अमृतपुर व पुलिस अधीक्षक से मिल चुका है, परन्तु पीडि़त के परिजनों के विरूद्ध लिखे झूठे मुकदमे को स्पंज नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में पीडि़त के पास आमरण अनशन पर बैठने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रह गया है।

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