सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कल यानी गुरुवार को फिर होगी। सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पक्षों से दो बिंदुओं पर विचार करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके सामने दो सवाल हैं, पहला- क्या उसे मामले की सुनवाई करनी चाहिए या इसे हाईकोर्ट को सौंप देना चाहिए और दूसरा- वकील किन बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के सामने कानून की खामियां गिनाईं। सरकार ने कानून के पक्ष में दलीलें दीं। कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ को लेकर भी सरकार से कठिन सवाल किए। इसके बाद केंद्र ने कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल करने का निवेदन किया। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए कल दोपहर दो बजे का समय तय किया।
नई दिल्लीः सुपीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की। वक्फ अधिनियम के खिलाफ कई विपक्षी दलों और नेताओं द्वारा याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम, आदि शामिल हैं। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे गैर सरकारी संगठनों और संगठनों ने भी इसके खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की वैधता को चुनौती देने वाली 73 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है. बहस में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद सहित कई याचिकाकर्ता कोर्ट पहुंचे. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से बड़ा सवाल किया. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के मामले को लेकर कोर्ट ने सरकार से पूछा, क्या वो मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है?
क्या है याचिकाओं का आधार?
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार देता है. अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कोर्ट में तर्क रखा कि वक्फ इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न हिस्सा है और सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
सिब्बल ने कहा कि यह अधिनियम न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है बल्कि मुस्लिमों की निजी संपत्तियों पर सरकार का ‘टेकओवर’ है. उन्होंने कहा कि कानून की कई धाराएं विशेषकर धारा 3(आर), 3(ए)(2), 3(सी), 3(ई), 9, 14 और 36 असंवैधानिक हैं और इससे मुसलमानों को धार्मिक, सामाजिक और संपत्ति से जुड़े अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें शुरू करते हुए कहा कि संसदीय कानून के जरिए जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक आस्था के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। अगर कोई वक्फ स्थापित करना चाहता है तो उसे यह दिखाना होगा कि वह पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा है। राज्य को यह कैसे तय करना चाहिए कि वह व्यक्ति मुसलमान है या नहीं? व्यक्ति का पर्सनल लॉ लागू होगा। सिब्बल ने दलील दी कि कलेक्टर वह अधिकारी होता है जो यह तय करता है कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। अगर कोई विवाद है तो वह सरकार का हिस्सा होता है और इस तरह वह अपने मामले में न्यायाधीश होता है। यह अपने आप में असंवैधानिक है। इसमें यह भी कहा गया है कि जब तक अधिकारी ऐसा फैसला नहीं करता, तब तक संपत्ति वक्फ नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि पहले केवल मुसलमान ही वक्फ परिषद और बोर्ड का हिस्सा होते थे, लेकिन संशोधन के बाद अब हिंदू भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। यह संसदीय अधिनियम द्वारा मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है।
सभी पुराने स्मारक, जामा मस्जिद भी संरक्षित ही रहेंगे: पीठ
कपिल सिब्बल ने जामा मस्जिद का मुद्दा भी उठाया। सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद समेत सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे। उन्होंनें कहा कि ऐसे कितने मामले हैं? इस बारे में कानून आपके पक्ष में है। सभी पुराने स्मारक, जामा मस्जिद भी संरक्षित ही रहेंगे।
कोर्ट ने क्या कहा?
सीजेआई संजीव खन्ना ने स्पष्ट किया कि सभी याचिकाकर्ताओं को सुनना संभव नहीं होगा, इसलिए चयनित वकील ही बहस करेंगे और कोई भी तर्क दोहराया नहीं जाएगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अनुच्छेद 26 की सेक्युलर प्रकृति को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होता है. वहीं, जस्टिस विश्वनाथन ने स्पष्ट किया कि संपत्ति धर्मनिरपेक्ष हो सकती है, उसका प्रशासन ही धार्मिक हो सकता है. उन्होंने बार-बार तर्क दोहराने से बचने की सलाह दी.
सीजेआई ने कहा, हम ये नहीं कह रहे हैं कि कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने और फैसला देने में सुप्रीम कोर्ट में कोई रोक है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि हम दोनों पक्षों से दो पहलुओं पर विचार करने के लिए कहना चाहते हैं. पहला- क्या इस पर विचार करना चाहिए या इसे हाई कोर्ट को सौंपना चाहिए? दूसरा- संक्षेप में बताएं कि वास्तव में क्या आग्रह कर रहे हैं और क्या तर्क देने हैं. दूसरा ये कि हमें पहले मुद्दे पर फैसला लेने में कुछ हद तक मदद कर सकता है.
वक्फ को पंजीकृत कराएंगे तो ये आपकी मदद करेगा: सीजेआई
इसके बाद सिब्बल ने कहा कि 20 करोड़ लोगों का अधिकार छीना जा रहा है। मान लीजिए कि मेरे पास कोई संपत्ति है। मैं इसे दान करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि वहां अनाथालय बनाया जाए। इसमें क्या परेशानी है। मुझे रजिस्टर कराना क्यों जरूरी है? इस पर सीजेआई ने कहा कि वक्फ को पंजीकृत कराएंगे तो ये आपकी मदद करेगा। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जो अल्लाह का है, वो वक्फ है। कानून में झूठे दावों से बचने के लिए वक्फ डीड का प्रावधान है। इस पर सिब्बल ने कहा कि यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगी जाएगी तो यहां समस्या है।
‘उच्च न्यायालय को याचिकाओं से निपटने के लिए कहा जा सकता है’
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि एक उच्च न्यायालय को याचिकाओं से निपटने के लिए कहा जा सकता है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने और फैसला करने में सुप्रीम कोर्ट पर कोई रोक है। सीजेआई ने साफ किया कि वह कानून पर रोक लगाने के पहलू पर कोई दलील नहीं सुन रहे हैं।
केंद्र सरकार का पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वक्फ कानून का उद्देश्य केवल संपत्ति का नियमन है, न कि धार्मिक हस्तक्षेप. उन्होंने कहा कि सरकार ट्रस्टी के रूप में कार्य कर सकती है और कलेक्टर को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है ताकि संपत्ति विवादों का शीघ्र समाधान हो सके. मेहता ने यह भी कहा कि 1995 से लेकर 2013 तक वक्फ बोर्ड के सदस्यों का नामांकन केंद्र सरकार ही करती रही है. उन्होंने बताया कि वक्फ न्यायाधिकरण एक न्यायिक निकाय है और न्यायिक समीक्षा का अधिकार बरकरार है.
’22 में से अधिकतम 2 सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे’
CJI ने पूछा, “वक्फ बाय यूजर का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? यह बताने वाला कहां से आएगा कि वक्फ मैंने किया है? वक्फ कानून का दुरुपयोग होता आया है, लेकिन वक्फ बाय यूजर को पूरी तरह रोक देना सही नहीं लगता। अंग्रेजों के ज़माने में प्रिवी काउंसिल ने भी वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी थी।” इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा, “नया कानून मुसलमानों को खुद ट्रस्ट बनाने की अनुमति देता है, और उनके लिए वक्फ को ही संपत्ति सौंपने की बाध्यता नहीं है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुसलमानों के होने से वक्फ के काम पर कोई असर नहीं पड़ता। यह काफी हद तक एक एडवाइजरी संस्था है, और इसमें केंद्र की तरफ से नामित प्रतिनिधि शुरू से हैं। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 2 पूर्व जज भी होंगे।” इस पर सीजेआई ने कहा, “वह गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।” एसजी ने जवाब दिया, “इस हिसाब से तो आप भी इस मामले को नहीं सुन सकते।” सीजेआई ने तुरंत कहा, “यह तुलना मत कीजिए। बेंच पर बैठे जज इन बातों से अलग हटकर सुनवाई करते हैं।” एसजी ने कहा, “मैं सिर्फ याचिकाकर्ताओं की उस दलील की व्यर्थता के बारे में समझा रहा था। 22 में से अधिकतम 2 सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे।” सीजेआई ने पूछा, “क्या हम इस बात को रिकॉर्ड करें?” एसजी ने कहा, “मैं लिखित हलफनामा दे सकता हूं। काउंसिल में शिया और दूसरे वर्गों के मुसलमानों को भी जगह दी गई है। 2 मुस्लिम महिलाओं को भी जगह दी गई है।”
‘कलक्टर के आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल जाने का रास्ता खुला है’
CJI ने कहा कि पिछले वक्फ से जुड़े मुद्दे हैं। मेहता ने कहा कि सिब्बल कहते हैं, यह केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से हड़प लिया गया है, कृपया 1995 के अधिनियम में धारा 9 को देखें। 2013 के संशोधन के बाद भी हमेशा केंद्र सरकार ही नामांकन करती रही है। एसजी ने कहा कि यहां मसला यह है कि सदस्य नॉन-मुसलिम क्यों है। सीजेआई ने पूछा, “क्या सभी वक्फ बाय यूजर खत्म हो गए हैं?” एसजी ने जवाब दिया, “यह दावा सही नहीं है।” एसजी ने कहा, “अगर कोई हिंदू ट्रस्ट बनाता है तो उसके सदस्यों के हिंदू होने की शर्त रख सकता है। वक्फ बोर्ड की स्थिति अलग है। वह वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट के लिए होती है।” जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, “यह दलील गलत है। हिंदू ट्रस्ट में सिर्फ हिंदू होते हैं, और यहां दूसरे लोग भी हैं।” एसजी ने कहा, “जो वक्फ बाय यूजर संपत्तियां पंजीकृत हैं, उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा।” सीजेआई ने पूछा, “अनरजिस्टर्ड संपत्ति वक्फ क्यों नहीं रहेगी? इसे सिविल कोर्ट को तय करने दीजिए।” एसजी ने कहा, “1923 से ही रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी रखा गया है। सिब्बल ने मुतवल्ली के जेल चले जाने जैसी अवास्तविक दलील दी।” सीजेआई ने कहा, “अंग्रेजों से पहले रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं थी। पुरानी इमारतों का रजिस्टर्ड वक्फ कैसे हो सकता है?” सीजेआई ने कहा, “जामा मस्जिद भी वक्फ बाय यूजर है।” एसजी ने कहा, “उन्हें इसे रजिस्टर्ड करवाने से कोई नहीं रोक सकता है।” एसजी ने कहा, “कलक्टर की तरफ से सरकारी जमीन की पहचान के खिलाफ दलील जेपीसी में भी रखी गई थी। कलक्टर राजस्व अधिकारी होता है। इसलिए कहा गया था कि उससे ऊंचे पद के अधिकारी को ज़मीन की स्थिति तय करने का जिम्मा दिया जाए।” एसजी ने कहा, “कलक्टर के आदेश के खिलाफ ट्रिब्यूनल जाने का रास्ता खुला है। उसका अध्यक्ष पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज होगा। उसमें मुस्लिम विद्वान भी होंगे। ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट का दर्जा दिया गया है।”
कपिल सिब्बल के प्रमुख तर्क
- धारा 3(आर): वक्फ की परिभाषा में राज्य का हस्तक्षेप असंवैधानिक
- धारा 3(ए)(2): महिलाओं की संपत्ति के अधिकार में दखल
- धारा 3(सी): सरकारी संपत्ति को स्वतः वक्फ न मानना
- धारा 14: बोर्ड में नामांकन से सत्ता का केंद्रीकरण
- धारा 36: बिना पंजीकरण के भी संपत्ति का धार्मिक उपयोग संभव
- धारा 7(ए) और 61: न्यायिक प्रक्रियाओं में अस्पष्टता
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
- वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि वक्फ अधिनियम का पूरे भारत में प्रभाव होगा, याचिकाओं को उच्च न्यायालय में नहीं भेजा जाना चाहिए। उन्होंने अधिनियम के खिलाफ दलील दी और अधिनियम पर रोक लगाने की मांग की।
- एक वादी की ओर से वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने कहा कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ इस्लाम की स्थापित प्रथा है, इसे खत्म नहीं किया जा सकता।
- याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि संशोधन मुसलमानों के धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन करता है और दान इस्लाम का एक आवश्यक धार्मिक अभ्यास है।
आइए जानते हैं आज की सुनवाई
- सीजेआई ने कहा कि हम सभी को नहीं सुन सकते. इसलिए तय कर देंगे कि कौन बहस करेगा. हम एक एक कर नाम लेंगे. कोई भी दलील नहीं दोहराएगा. तमाम रिट याचिकाएं हैं और सभी ब्रीफ नोट तैयार करेंगे. दूसरा किन आधारों पर तर्क रखेंगे.
- वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि मैं वरिष्ठ हूं, मुझे मौका दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी डेकोरम बनाएं रखें. सीजेआई ने कहा दो सवाल हैं- क्या मामला हाईकोर्ट भेजें, आपके तर्कों के आधार क्या हैं. कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है.
- सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि यह अनुच्छेद मूवेबल और इमूवेबल संपत्ति जो धर्म संबंद्धी है उनको संरक्षित करता है.
- सिब्बल ने कहा कि मैं मोटे तौर पर बता दूं कि चुनौती किस बारे में है. संसदीय कानून के माध्यम से जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक धर्म के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है. मैं अनुच्छेद 26 का उल्लेख करता हूं और अधिनियम के कई प्रावधान अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करते हैं.
- सिब्बल ने कहा कि वक्फ के मामले में पर्सनल लॉ लागू होता है और मैं ऐसे में किसी अन्य का अनुसरण क्यों करूंगा. सिब्बल ने कहा कि 2025 अधिनियम की धारा 3(आर) का संदर्भ देते हुए- वक्फ की परिभाषा देखिए.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनौती बिंदुवार बताई जानी चाहिए. सिब्बल ने कहा कि मैं धारा 3(आर) को चुनौती दे रहा हूं. आखिर मैं राज्य के अधीन क्यों रहूंगा, जबकि पर्सनल लॉ इस्लाम का है.
- सिब्बल ने कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता. इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है? सीजेआई ने कहा कि हिंदू में भी सरकार ने कानून बनाया है. संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है.
- सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है, सभी समुदायों पर लागू होता है. सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, वे उससे पहले ही हस्तक्षेप कर रहे हैं. इसके बाद धारा 3(सी) के तहत वक्फ के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को अधिनियम के लागू होने के बाद वक्फ नहीं माना जाएगा.
- कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार और वक्फ के बीच विवाद में सरकारी अधिकारी निर्णय लेगा. यह सही नहीं है. सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा 3(सी)(2)- वे घोषणा कर सकते हैं कि यह उनकी संपत्ति है. इस प्रक्रिया में कोई समय सीमा नहीं है.
- कपिल सिब्बल ने दिल्ली की जामा मस्जिद का जिक्र किया. सीजेआई ने कहा कि वक्फ के बाद ASI के तहत कई ऐतिहासिक इमारतें दी गई हैं जो Ancient monument act के तहत हैं. सिब्बल ने कहा कि आपने एक ऐसे अधिकारी की पहचान की है जो सरकार का अधिकारी है. यह अपने आप में असंवैधानिक है. सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? मेरी समझ से, व्याख्या आपके पक्ष में है. अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया गया है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. यह वक्फ ही रहेगा, आपको तब तक आपत्ति नहीं करनी चाहिए जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता.
- सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद समेत सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे. सिब्बल ने कहा कि पांचवां प्वाइंट कानून की धारा एस.3ई- अब, मेरे पास एक चार्ट है, जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है. सीजेआई ने कहा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता है कि अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति को मंजूरी के बिना हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है?- सिब्बल ने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल, 1995 के तहत, सभी नामांकित व्यक्ति मुस्लिम थे. मेरे पास चार्ट है, सभी हिंदू या सिख बंदोबस्त, नामांकित व्यक्ति हिंदू या सिख हैं- यह सीधा उल्लंघन है. यह 200 मिलियन को संसदीय तरीके से हड़पना है.
- सीजेआई ने कहा कि दो नॉन मुस्लिम के अलावा मुस्लिम सदस्य का प्रावधान हैं.
- जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि मत उलझाओ, संपत्तियां धर्मनिरपेक्ष हो सकती हैं. केवल संपत्ति का प्रशासन ही इसके लिए उत्तरदायी हो सकता है, बार-बार अनिवार्य धार्मिक प्रथा न कहें.
- सिब्बल ने कहा कि कृपया धारा 9 देखें. कुल सदस्य संख्या 22 है, 10 मुस्लिम होंगे. सीजेआई ने कहा कि दूसरा प्रावधान देखें. क्या इसका मतलब यह है कि पूर्व अधिकारी को छोड़कर केवल दो सदस्य ही मुस्लिम होंगे? सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से सरकारी टेकओवर है.
- कपिल सिब्बल ने कहा कि धारा 14 पर आइए, यह भी उल्लंघनकारी है. सिब्बल ने कहा कि यह नामांकन के जरिए से पूरा टेकओवर है. 1995 अधिनियम देखें- धारा 9 के तहत सभी मुसलमान, बोर्ड का प्रावधान धारा 14 है- सभी मुसलमान.
- सिब्बल ने राम जन्मभूमि के फैसले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि धारा 36, आप उपयोगकर्ता द्वारा बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है. मान लीजिए कि यह मेरी अपनी संपत्ति है और मैं इसका उपयोग करना चाहता हूं, मैं पंजीकरण नहीं करना चाहता.
- सीजेआई ने कहा कि पंजीकरण में क्या समस्या है?
- सिब्बल ने कहा कि मैं कह रहा हूं कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को समाप्त कर दिया गया है, यह मेरे धर्म का अभिन्न अंग है, इसे राम जन्मभूमि फैसले में मान्यता दी गई है.
- सिब्बल ने कहा कि समस्या यह है कि वे कहेंगे कि यदि वक्फ 300 साल पहले बनाया गया है तो वे डीड मांगेंगे.
- सिब्बल ने कहा कि धारा 7(ए) का हवाला देते हुए, इसमें 20 साल लगेंगे. सीजेआई ने कहा लेकिन यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी. क्या कलेक्टर का फैसला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है? सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा ऐसा नहीं कहती.
- कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून की धारा 61 देखिए. वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यह कानून इस्लाम धर्म की अंदरूनी व्यवस्था के खिलाफ है. धवन ने कहा कि संवैधानिक हमले का आधार यह है कि वक्फ इस्लाम के लिए आवश्यक और अभिन्न अंग है. धर्म, विशेष रूप से दान, इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है. अन्य पहलुओं में मैं सिब्बल के तर्क का समर्थन करता हूं. पहले सीईओ मुस्लिम होना चाहिए था, अब ऐसा नहीं है.
- सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक वक्फ कानून पर रोक लगे.
- जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, ट्रस्ट का उदाहरण न दें. सबसे अधिक संभावना हिंदू बंदोबस्ती की होगी. हिंदू समुदाय ही इसका प्रशासन करता है.
- मेहता ने कहा कि वो किसी भी तरीके से शासित होते हैं लेकिन अंततः यह वैधानिक द्वारा शासित होता है.
- सीजेआई ने कहा कि हमें एक उदाहरण दें.
- मेहता ने कहा ठीक है इस पर नहीं जाते हैं.
- सीजेआई ने कहा कि मेहता जी, जब बात हिंदुओं की बंदोबस्ती की आती है तो यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि यह आम तौर पर हिंदुओं की बंदोबस्ती है.
- मेहता ने कहा कि मेरे संकलन पर आते हैं. 2025 अधिनियम से पहले पंजीकृत मौजूदा वक्फ, वक्फ संपत्ति के रूप में बने रहेंगे लेकिन
- अगर कोई कहता है, हम पंजीकृत नहीं है, केवल विवादों में रहने वाली संपत्तियों को छोड़कर सब बने रहेंगे.
- सीजेआई ने कहा कि यह वक्फ संपत्ति क्यों नहीं रहेगी? सिविल कोर्ट को यह तय करने दें.
- सीजेआई ने कहा कि अधिकांश मामलों में, जैसे कि जामा मस्जिद, इसे उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ किया जाएगा.
- मेहता ने कहा कि उन्हें पंजीकरण करने से किसने रोका?
- जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि सीजेआई क्या कह रहे हैं, क्या होगा यदि धारा 3(सी) शामिल है और सरकार कहती है कि यह उनकी संपत्ति है? भूमि अतिक्रमण अधिनियम में कानून कहता है कि वास्तविक मसले पर अदालत द्वारा विचार किया जाएगा.
- मेहता ने कहा, मुझे जवाब पूरा करने दें.
- एसजी तुषार मेहता ने कहा, ऐसे फैसले हैं जो कहते हैं कि सरकार ट्रस्टी के रूप में इसे विनियमित कर सकती है. अगर कोई सवाल उठता है कि क्या संपत्ति सरकारी संपत्ति है तो कलेक्टर यह निर्धारित करेगा, यह प्रावधान क्यों आया? ताकि कोई विवाद नहीं कर सके क्योंकि सरकारी संपत्ति सरकारी संपत्ति के अलावा कुछ नहीं हो सकती.
- सीजेआई ने कहा कि ऐसे में तो आप पहले किसी भी आगे की घोषणा को रद्द करें कि संपत्ति एक वक्फ संपत्ति है.
- एसजी तुषार मेहता ने कहा, सरकारी जमीन पर राजस्व के लिए न्यायिक निर्णय होना चाहिए. जेसीपी के समक्ष तर्क यह था कि कलेक्टर राजस्व अधिकारी है, उसके ऊपर एक अधिकारी होना चाहिए.
- सीजेआई ने कहा कि प्रावधान पढ़ें, कलेक्टर ने जैसे ही जांच करने की बात कही, क्या यह उचित है?
- मेहता ने कहा कि वक्फ के रूप में स्थिति अभी भी निलंबित है लेकिन कोई भी यह नहीं कहता कि उपयोग बंद हो जाएगा. ये राजस्व कार्यवाही है और अगर कोई प्रतिकूल कब्ज़ा चाहता है तो वे उपाय की मांग कर सकते हैं.
- सीजेआई ने कहा लेकिन सिविल मुकदमे पर रोक है.
- SG ने कहा कि मुझे पूरा करने दें.
- मेहता ने कहा कि धारा 81 देख लें. न्यायाधिकरण एक न्यायिक निकाय है, इसमें एक न्यायाधीश और मुस्लिम कानून की जानकारी रखने वाला एक व्यक्ति होता है. न्यायिक समीक्षा को समाप्त नहीं किया गया है.
- जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि एसजी साहेब उपधारा 9 पढ़ें, हाईकोर्ट में अपील करें कि बात है.
- मेहता ने कहा कि मैं आभारी हूं, पहले ट्रिब्यूनल का का यह निर्णय अंतिम था. अब यह अधिक विस्तृत हो गया है.
- सीजेआई ने कहा कि मुझे अभी भी मेरा जवाब नहीं मिल पाया है.
- मेहता ने कहा कि अगर यह पंजीकृत है तो मुझे हलफनामे पर रखा जाएगा.
- सीजेआई ने कहा कि यह कानून द्वारा स्थापित किसी चीज को खत्म करना होगा. आप कैसे पंजीकृत करेंगे? उप-धारा 2 पर आइए. जहां तक उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का सवाल है, इसे पंजीकृत करना मुश्किल है. आपकी बात सही है, इसका दुरुपयोग किया जाता है लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि उपयोगकर्ता द्वारा कोई वास्तविक वक्फ नहीं है. अगर आप उपयोगकर्ता संपत्तियों द्वारा वक्फ की पहचान करते हैं तो यह एक समस्या होगी. उप-धारा 2 पर आइए, यह पूरी तरह से विपरीत है.
- सीजेआई ने कहा कि लेजिस्लेटिव अदालत के किसी निर्णय या डिक्री को अमान्य घोषित नहीं कर सकता. आप कानून के आधार को हटा सकते हैं लेकिन आप किसी निर्णय को बाध्यकारी नहीं घोषित कर सकते.
- मेहता ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ये शब्द क्यों आए हैं. उस हिस्से को अनदेखा करें. मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो मुस्लिम बोर्ड द्वारा शासित नहीं होना चाहता. अगर कोई मुसलमान दान करना चाहता है तो वह ट्रस्ट के माध्यम से ऐसा कर सकता है.
- सनुवाई के दौरान कोर्ट में एसजी और सिब्बल के बीच थोड़ी बहस हुई. इस पर सीजेआई ने रोका. सीजेआई ने कहा कि पिछले वक्फ से जुड़े मुद्दे हैं.
- मेहता ने कहा कि सिब्बल कहते हैं कि ये केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से हड़प लिया गया है. कृपया 1995 के अधिनियम में धारा 9 को देखें. 2013 के संशोधन के बाद भी हमेशा केंद्र सरकार ही नामांकन करती रही है.
- सीजेआई ने कहा कि हम एडजूडिकेशन की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह धर्म के संबंध में भी हैं.
- एसजी ने कहा कि यहां मसला ये है कि सदस्य नॉन मुस्लिम क्यों है.
’13वीं, 14वीं और 15वीं शताब्दी में कई मस्जिदें बनाई गई थीं’
SG तुषार मेहता ने कहा, ‘1923 से ही वक्फ का पंजीकरण वैधानिक रूप से अनिवार्य है। यहां तक कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ को भी बिना पंजीकरण के मान्यता नहीं दी जा सकती। 1995 के अधिनियम में भी इस प्रावधान का पालन किया गया, जहां वक्फ पंजीकरण अनिवार्य है।’ इस पर कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर पंजीकरण नहीं कराया गया तो मुतवल्ली को जेल जाना पड़ता है, और वह 1995 से ही जेल जा रहा है। इस बीच, CJI ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘एक बात स्पष्ट कर दूं ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ को 1925 से पहले स्वीकार किया जाता था। अब क्या इसे शून्य घोषित कर दिया गया है, या इसे अस्तित्वहीन माना जा रहा है? कृपया अपने बयान में सावधानी बरतें। अगर कोई वक्फ पहले से स्थापित है, तो क्या अब उसे शून्य घोषित कर दिया जाएगा, या वह वैध बना रहेगा?’ इस पर मेहता ने कहा, ‘यदि वह पंजीकृत है, तो वह वक्फ संपत्ति के रूप में बना रहेगा।’ CJI ने आगे पूछा, ‘आपने कहा कि यह ‘विवाद’ है। इस शब्द से आपका क्या तात्पर्य है, क्या केवल न्यायालय के समक्ष लंबित विवाद? और यह भी समझना होगा कि ब्रिटिश शासन से पहले हमारे पास कोई पंजीकरण अधिनियम नहीं था। 13वीं, 14वीं और 15वीं शताब्दी में कई मस्जिदें बनाई गई थीं। क्या आप उनसे अब बिक्री विलेख या पंजीकरण दस्तावेज प्रस्तुत करने की अपेक्षा करते हैं? यह तो असंभव है।’