फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। डीपीवीपी विद्यालय में चल रही 22वें मानस सम्मेलन में मनीष तिवारी ने कहा कि मानस की चौपाइयां महामंत्र है, जो रामकथा सुनने की नहीं बल्कि जीने की चीज है, इसे जीने से अहंकार मोह इंद्रियों के दोषो का अंत होता है मन हृदय तथा आत्मा पवित्र होती है जीवन में भक्ति की आवश्यकता होती है, श्रीराम कथा जीवन जीने की कथा है, तुम्हें राम व भारत बनना होगा, उनके आदर्शों को आचरण में लाना होगा, भरत चरित्र, त्याग, तपस्या, साधना का जीवन है।ै मानव के जीवन में सत्संग आवश्यक है, भगवान की कथा उनकी कृपा से ही संभव है, सत्संग भक्ति की परिभाषा है। कुमारी आस्था दुबे ने श्री राम कथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि मानवता के पुजारी बानो, श्रीराम की कथा व्यथा मिटा देती है। सत्संग मोक्ष का माध्यम है, आस्था पत्थर को भी भगवान बना देती है, मानव अपना चरित्र और कर्म सुधार लेतो परम आनंद की प्राप्ति होती है। माता-पिता की सेवा करके अपना घर तीर्थ बना ले, यही स्वर्ग है, यज्ञ का फल अवश्य मिलता है। उन्हें श्रीराम जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए सभी को भाव विभोर कर दिया। प्रीति रामायणी ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब तक भगवान का अवतार होता है। श्रीराम कथा को जीवन में उतरने की आवश्यकता है। अरिमर्दन शास्त्री ने कहा कि जटायु पर भगवान की विशेष कृपा रही भीष्म पितामह को बाणो की सैया मिली और जटायु को भगवान की गोद मिली क्योंकि जटायु माता.पिता की रक्षा के लिए अपने प्यार त्याग दिए भगवान श्रीराम परोपकारी को सब कुछ दे सकते हैं, स्वार्थी को कुछ भी नहीं। सर्वेश कुमार शुक्ला ने कहा कि राम कथा सत्संग की प्यारी होती है, साधना शर्मा ने कहा कि मानस हमें कर्म की प्रधानता की शिक्षा देती है, मानस के अनुसार जो जैसा कार्य करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। संचालन करते हुए संत कवि बृज किशोर सिंह किशोर ने मानव से जुड़े कई प्रसंगों पर चर्चा करते हुए मानस को सबसे श्रेठ ग्रंथ बताया। संयोजक भारत की ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। शकुंतला कनौजिया, शारदा भदोरिया, चंदन सिंह, गगन सिंह, डॉ0 विष्णु दत्त शर्मा, मुकेश सिंह, गौरांगना दुबे, गिरिराज सिंह, कल्लू कनौजिया, समाजसेवी संजय गर्ग आदि ने व्यवस्था में सहयोग दिया।
मानव अपना चरित्र और कर्म सुधार ले तो होती है परम आनंद की प्राप्ति
