कायमगंज, समृद्धि न्यूज। हिंदी साहित्य के इतिहास में छायावाद चतुष्टय के विख्यात कवियों में महाप्राण निराला का नाम सबसे अधिक लोकप्रिय है। उनका काव्य उनके व्यक्तित्व का आईना है। बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा एवं हवन के बाद राष्ट्रीय प्रगतिशील फोरम द्वारा कृष्ण प्रेस परिसर सदवाड़ा में परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश ने कहा कि निराला के काव्य में परंपरा और प्रगति प्रकृति और मानवीय संवेदना, करुणा और विद्रोह, शक्ति और सौंदर्य का अद्भुत संगम है। गीतकार पवन बाथम ने कहा कि-गीत और संगीत का मणिकांचन सहयोग। निर्झर ज्योतिर्मय हुआ पाकर उनका योग।।
हंसा मिश्रा ने कहा कि-लौह बदन कोमल हृदय शब्द शब्द जीवंत। नहीं निराला सा कहीं कवि विद्रोही संत।। प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ला ने कहा कि निराला ने संस्कृत निष्ठ हिंदी भाषा में कविता लिखी जिसमें किसी भी विजातीय भाषा का एक भी शब्द नहीं मिलता। पूर्व प्रधानाचार्य अहिबरन सिंह गौर, डॉ० सुनीत सिद्धार्थ ने कहा कि निराला ने स्वयं विषपान करके अमृत बांटा। जेपी दुबे एवं वीएस तिवारी ने कहा कि राम की शक्ति पूजा एवं वाणी वंदना जैसी कालजयी रचनाएं निराला जी ही लिख सकते थे। प्रोफेसर कुलदीप आर्य ने कहा कि निराला ने मुक्त छंद विधा में जूही की कली जैसी लयात्मक रचना लिखकर हिंदी कविता को नई दिशा दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कायमगंज प्रभारी निरीक्षक राम अवतार ने कहा कि वाणी पुत्र साहित्यकार नव जागरण के अग्रदूत होते हैं। कार्यक्रम में नागेंद्र सिंह कस्बा चौकी इंचार्ज शिव कुमार दुबे, दीवान विनीत कुमार एवं सिंधु परम मिश्रा आदि ने सहभागिता की।
बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन के साथ मनी पंडित सूर्यकांत निराला की जयंती
