समृद्धि न्यूज। पाकिस्तान अब ऐसी मिसाइलों के निर्माण में जुटा है, जो कि अमेरिका तक पहुंचने की क्षमता रखती हों। अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने ऐसी मिसाइलों को चीन की मदद से बनाने की कोशिश जारी रखी है और उसके इस कदम ने वॉशिंगटन तक को चौकन्ना कर दिया है।
लम्बे समय से मिसाइलें चर्चा में हैं। इजराइल-ईरान के युद्ध में मिसाइलों का जमकर इस्तेमाल किया गया। एक-दूसरे से दो हजार किमी से ज्यादा दूरी हवाई जंग लड़ी गई। इस बीच जापान ने मिसाइल का परीक्षण किया और अब पाकिस्तान की चर्चा हो रही है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल तैयार कर रहा है। ऐसी मिसाइल होती है जो लम्बी दूरी तक दुश्मन को निशाना बनाती है और भारी विस्फोटक ले जाने की क्षमता रखती है। दावा यह भी किया गया है कि परमाणु हथियार से लैस यह मिसाइल अमेरिका तक को निशाना बनाने में समर्थ होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि मिसाइल कैसे बनती है, इसमें क्या-क्या होता है। किस तकनीक से कंट्रोल होती है और कैसे तय होता है कि कितनी दूर जाएगी। एक मिसाइल बनने में कितना समय लगता है और कितना खर्च आता है।
हथियार ले जाने वाला रॉकेट
मिसाइल एक तरह का सेल्फ प्रोपेल्ड हथियार है, आसान भाषा में कहें तो मिसाइल एक तरह का रॉकेट होती है, जिसमें हथियार ले जाने की सुविधा होती है, इसके सबसे ऊपरी हिस्से को नोज कोन कहा जाता है, इसी में हथियार रखा जाता है, इसलिए इसको वारहेड सेक्शन भी कहते हैं, मिसाइलों में जरूरत के हिसाब से पेलोड, गाइडेंस सिस्टम और फ्यूजिंग मैकेनिज्म होता है। अब मिसाइल अपने टारगेट पर निशाना कैसे साधेगी, यह बताने के लिए इसमें गाइडेंस सिस्टम लगाया जाता है, वास्तव में गाइडेंस सिस्टम इसके कंट्रोल सेक्शन का हिस्सा होता है, जिसमें गाइडेंस सिस्टम के अलावा नेविगेशन सिस्टम भी होता है, जो मिसाइल को सही दशा और दिशा देता है, इसके अलावा मिसाइल के टकराने पर विस्फोट होगा अथवा टारगेट के केवल नजदीक जाने पर, यह तय करने के लिए फ्यूजिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया जाता है। मिसाइलों की दिशा तय करने के लिए थ्रस्ट वेक्टरिंग का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसा सिस्टम होता है, जो मिसाइल के नॉजल को घुमा कर एडजस्ट करता है, इसी से मिसाइलें दाएं-बनाएं घूमने में सक्षम होती हैं और अपने सही ट्रैजेक्टरी यानी कि पाथ पर आगे बढ़ती हैं।
इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल होती क्या हैं, पाकिस्तान के आईसीबीएम कार्यक्रम को लेकर अब तक क्या-क्या जानकारियां सामने आई है। मौजूदा समय में किन-किन देशों के पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं, और इस तकनीक में भारत की क्षमताएं कहां तक हैं।
परमाणु शक्ति से संपन्न देशों में अब तक पाकिस्तान इकलौता देश है, जिसके पास लंबी दूरी तक मार करने वाली इन्टरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल नहीं है। बताया जाता है कि पाकिस्तान लंबे समय से आईसीबीएम बनाने के लिए तकनीक जुटाने की कोशिश कर रहा है और इसमें उसे चीन का साथ मिला है।
बीते साल दिसंबर में भी एक रिपोर्ट में दावा हुआ था कि पाकिस्तान ने आईसीबीएम बनाने की दिशा में कदम उठा दिए हैं। तब अमेरिका ने इसकी आशंका जताते हुए, चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया था। इन कंपनियों पर पाकिस्तान को आईसीबीएम के लिए जरूरी सप्लाई पहुंचाने का आरोप लगा था। इनमें पाकिस्तान में मिसाइलों के निर्माण के लिए जिम्मेदार सरकारी कंपनी नेशनल डिफेंस कॉम्प्लेक्स (एनडीसी) भी शामिल थी। हालांकि, पाकिस्तान की तरफ से इस रिपोर्ट को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया था। वहीं, इससे पहले 2023-2024 में भी अमेरिका ने कुछ चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। इन कंपनियों पर पाकिस्तान को खास तरह की मिसाइल तकनीक देने के आरोप लगे थे। पाकिस्तान जिस मिसाइल को बनाने की तैयारी कर रहा है, उसकी क्षमता 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा मार करने की हो सकती है, क्योंकि दोनों देशों की दूरी लगभग इतनी ही है। सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए तब खुलासा हुआ था कि चीन की मदद से पाकिस्तान बड़ी रॉकेट मोटर बनाने की कोशिश में जुटा है।
आठ देशों के पास है आईसीबीएम मिसाइल
मौजूदा समय में आठ देशों-अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, भारत, इजराइल, उत्तर कोरिया और ब्रिटेन के पास आईसीबीएम का जखीरा है।