फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। रोडवेज विभाग में कई बसें खटारा हो गयी है, तो कई बसों में से बैटरी खराब है। सडक़ पर अचानक रोडवेज बसें बंद हो जाती है। जहां एक तरफ जाम की समस्या का कारण बनती है तो वहीं सवारियों को ही अपना पसीना बहाना पड़ता है। बस को स्टार्ट कराने के लिए सवारियों को भी धक्का लगाना पड़ता है। तब जाकर वह स्टार्ट होती है।
जब विभाग सवारियों से पूरा पैसा टिकट का लेते है तो धक्का लगाने का काम किसका है। अधिकांश बसों में बैटरी खराब होने के कारण बीच रोड पर खड़ी हो जाती है। जिससे कई बार जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। आम नागरिकों व सवारियों को ही धक्का लगाना पड़ता है। इसे एआरएम व विभाग की लापवाही समझे। जबकि कोई भी बाहन हो परिवहन एक्ट के अनुसार उसकी अवधि निर्धारित है। उसके बाद वह कंडम यानी कबाड़े की श्रेणी में आ जाती है, लेकिन परिवहन विभाग में ऐसी कई बसें आपको देखने को मिलेगी जिनमें आप अगर बैठ जाये तो निश्चित ही आप बीमार हो जायेगे। अन्य वाहनों के हार्न का इतना शोर नहीं होगा जितनी यह बसें आवाज करती है। सर्दी के मौसम में ऐसी बसों में सफर करने का मतलब है कि जान जोखिम में डालना, अधिकांश बसों की खिडक़ी के शीशे ही गायब है। कभी-कभी खराब बसों के कारण लोग घंटों इंतजार करते है और समय पर नहीं पहुंच पाते है। यह रोडवेज परिवहन विभाग की बड़ी लापरवाही है। ऐसी ही बस फर्रुखाबाद डिपो की जो हरदोई, दिल्ली तक संचालित है। यूपी 76के/9540 जो 14 से 14 वर्ष पुरानी है, वह भी रोड पर दौड़ रही है। इन खटारा बसों में सवारियां बैठने में एतराज करती है, उसके बावजूद भी विभाग ऐसी बसों को रोड पर चलवा रहा है तो जिम्मेदारी किसकी बनती है। विभाग समय रहते ऐसी बसों की मरम्मत करायें या कंडम करके नई बसों का संचालन करें। काफी सवारियां धक्का लगाने में एतराज करती है, ऐसे में चालक-परिचालक धक्का लगाने के लिए मजबूर कर देते है। वहीं चालक-परिचालक की अगर माने तो उनका कहना है कि बस की कंडीशन के बारे में विभाग को एक नहीं अनेकों बार बता चुके है, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चालक-परिचालक पर भी विभाग का दबाव रहता है कि वह प्रत्येक चक्कर में तय की गई धनराशि से कम की सवारियां का पैसा जमा करते है तो उनकी कटौती होती है। लेकिन खुलकर कोई बोलने को तैयार नहीं है।
धक्का लगाकर स्टार्ट हो रही है रोडवेज की खटारा बसें
