ट्रेनी IAS पूजा खेडकर बर्खास्त, UPSC ने किया ब्लैक लिस्ट

विवादों में रही महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की उम्मीदवारी को संघ लोक सेवा आयोग ने रद्द कर दिया है. साथ ही यूपीएससी ने उन्हें ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है यानी वह भविष्य में कभी यूपीएससी की परीक्षा में नहीं शामिल हो सकती हैं. यूपीएससी ने उन्हें नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया, जिसके बाद उन पर यह कार्रवाई की गई.यूपीएससी ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी है और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया है. उपलब्ध अभिलेखों की जांच के बाद यूपीएससी ने खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया. यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 तक पंद्रह हजार से अधिक अनुशंसित उम्मीदवारों के सीएसई डेटा के 15 वर्षों की समीक्षा की, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया.

यूपीएससी ने पहले ही दे दिए थे कार्रवाई के संकेत

आपको बता दें कि यूपीएससी ने इस बात के संकेत पहले ही दे दिए थे। यूपीएससी का कहना था कि अगर पूजा खेडकर पर लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। यूपीएससी ने भी पूजा खेडकर को इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में पूछा गया था कि क्यों न पूजा खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा-2022 की उम्मीदवारी को रद्द किया जाए। यूपीएससी ने दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर फर्जी पहचान पहचान पत्र बनवाए। शिकायत में कहा गया है कि खेडकर ने धोखाधड़ी से परीक्षा दी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

30 जुलाई तक UPSC ने दिया था समय

यूपीएससी ने पूजा खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उन्हें 30 जुलाई 2024 को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया गया था ताकि वह कारण बताओ नोटिस का जवाब दे सकें. आयोग ने उन्हें यह भी स्पष्ट रूप से बता दिया था कि यह उनके लिए अंतिम अवसर है और समय में कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा. उन्हें यह भी स्पष्ट शब्दों में बताया गया कि यदि उपरोक्त तिथि/समय तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यूपीएससी उनसे कोई और संदर्भ लिए बिना आगे की कार्रवाई करेगा. उन्हें दिए गए समय में विस्तार के बावजूद वह निर्धारित समय के अंदर अपना स्पष्टीकरण देने में विफल रहीं, जिसके बाद आयोग ने उन पर कार्रवाई की.

बदला था अपना और माता-पिता का नाम

उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदला था. वहीं आयोग ने यह भी कहा कि जहां तक ​​झूठे प्रमाण पत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों) जमा करने के बारे में शिकायतों का सवाल है, तो यूपीएससी यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह प्रमाण पत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है. जैसे कि क्या प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, प्रमाण पत्र किस वर्ष का है, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि, क्या प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि.

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