लाला लाजपत राय की जयंती पर दी गई श्रद्धांजलि

क्रांतिकारियों को नमन कर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में मेला श्रीरामनगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र में चरित्र निर्माण शिविर में प्रतिदिन की भांति प्रात:काल यज्ञ किया गया। कल्पवासियों ने श्रद्धापूर्वक आहुतियां देकर पुण्य लाभ अर्जित किया। क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत महान क्रांतिकारी लाला लाजपत राय की जयंती पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनन्य भक्त लाला लाजपतराय ने भारत माता की आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था। बहुत कम लोग जानते हैं कि लाला लाजपत राय ने ही अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। उन्होंने साइमन कमीशन का विरोध करते हुए यह नारा दिया था। लाला लाजपतराय ने अपने आखिरी भाषण में कहा था कि मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी। उनके यह शब्द बाद में सही साबित हुए, लाला लाजपतराय के बलिदान के २० वर्ष के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का अस्त हो गया। साइमन कमिशन के विरोध के दौरान लाला लाजपतराय पर लाठीचार्ज हुआ। जिससे उनका बलिदान हो गया। इससे भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु में काफी रोष देखा गया था। उन्होंने लाला जी पर लाठीचार्ज करने वाले अंग्रेज अफसर सांडर्स को 17 दिसम्बर 1928 को मार गिराया। ऐसे वीरों के प्रति देश हमेशा कृतज्ञ रहेगा। डॉ0 शिवराम आर्य ने बताया कि शिक्षा के साथ में संस्कारों का समावेश ही मनुष्य को महान बनाता है। किसी चीज की क्वॉलिटी को बढ़ा देना, किसी वस्तु की गुणवत्ता को बढ़ा देना संस्कार कहलाता है। श्रेष्ठ और आदर्श कर्म ही मनुष्य की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं जिससे मनुष्यत्व से ऊपर उठकर मनुष्य देवत्व को प्राप्त करता है। पण्डित धनीराम बेधडक़, पण्डित शिवनारायण आर्य, आचार्य विवेक आदि ने भी अपने उपदेशों से समाज उत्थान की चर्चा की। संचालन डॉ0 शिवराम सिंह आर्य ने किया। कार्यक्रम में उत्कर्ष आर्य, उदयराज आर्य, संजय यादव, हरिओम शास्त्री, शिशुपाल आर्य, अजीत आर्य, रत्नेश द्विवेदी, उपासना कटियार, नीति कुशवाह, अमृता आर्या, रेनू आर्या आदि उपस्थित रहे।

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