सुसंस्कारित करने के लिए मां की गोद, घर का आंगन
फर्रुखाबाद, समृद्धि न्यूज। आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में मेला श्रीराम नगरिया में चल रहे वैदिक क्षेत्र में चरित्र निर्माण शिविर में प्रात:काल यज्ञ किया गया। आचार्य चन्द्रदेव शास्त्री ने बताया कि जीवन निर्माण की वैदिक पद्धति का उल्लेख महर्षि दयानन्द सरस्वती ने किया है। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को माता, पिता और आचार्य योग्य मिल जाते हैं वो बच्चे महान बनते हैं। बच्चों को सुसंस्कारित करने के लिए मां की गोदी, घर का आंगन और समाज की गलियां ठीक (श्रेष्ठ) होना अत्यावश्यक है। मां का लालन, पिता का पालन और गुरु का ताडन जिन बच्चों को मिल जाता है उन्हें इस धरती पर महान बनने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए परिवार, समाज और राष्ट्र को उन्नत करने के लिए बच्चों को सुसंस्कारित करना अत्यावश्यक है। पण्डित धर्मवीर आर्य ने बताया कि आर्य समाज का महत्वपूर्ण कार्य अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करना है। विद्या की उन्नति के लिए व्यक्ति का पुरुषार्थी होना अनिवार्य है। इस संसार में मेहनत और पुरुषार्थ के बल पर ही लोगों ने सफलता के झण्डे गाड़े हैं। किसी विचारक ने लिखा है कि पुरुषार्थी व्यक्ति की सहायता भगवान भी करते हैं। पुरुषार्थ मनुष्य जीवन की उन्नति का आधार है। पण्डित धनीराम बेधडक़, पण्डित अनिलदत्त नादान, पण्डित शिवनारायण आर्य ने भजनोपदेश के द्वारा ईश्वर भक्ति की ओर प्रेरित किया। उदिता आर्या ने देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान, कितना बदल गया इंसान, भजन गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डा0 शिवराम आर्य ने संचालन किया। सभा में उत्कर्ष आर्य, उदयराज आर्य, संदीप आर्य, हरिओम शास्त्री, शिशुपाल आर्य, अजीत आर्य आदि उपस्थित रहे।
वैदिक क्षेत्र में उदिता आर्या ने भजन प्रस्तुत कर बांधा समा
