कम्पिल, समृद्धि न्यूज। गर्मी के मौसम में स्वास्थ्य विभाग लोगों को तरल पदार्थ पीने की सलाह दे रहा है। कुछ लोग ताड़ी को तरल पदार्थ मानकर सेवन कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार क्षेत्र में ताड़ के पेड़ों की संख्या कम होने के बावजूद बाजार में ताड़ी की कोई कमी नहीं है। यह स्थिति मिलावटी ताड़ी बिकने की आशंका को बढ़ा रही है। कंपिल, कुंवरपुर, नारायणपुर, रुदायन, पहाड़पुर, जिजौटा बुजुर्ग समेत कई इलाकों में ताड़ी की दुकानें संचालित हैं। आबकारी विभाग इन दुकानों से बिक रही ताड़ी की जांच नहीं कर रहा है। नगरवासियों ने ताड़ी की नियमित सैंपलिंग की मांग की है। उनका कहना है कि इससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाया जा सकता है। ग्रामीणों के अनुसार ताड़ी में नशीली दवा मिलकर लोगों को परोसा जा रहा है। जिससे समाज का युवा वर्ग नशे में अपनी जिंदगी नशीली गोलियों में डुबाने पर आतुर है। ताड़ी की दुकानों पर सुबह छ: बजे से देर रात तक जमावड़ा बना रहता है। अब ताड़ी अंगूरी यानी शराब पर भारी पड़ रही है। देसी शराब के शौकीन इन दिनों ताड़ी पीने में जुटे हैं। ताड़ी में कैमिकल व नशीले पाउडर मिलाने से सस्ती दरों में तगड़ा नशा मिलने के कारण इस तरफ रुझान बढ़ा है। हालांकि यह काफी खतरनाक व जानलेवा भी बन सकती है। अप्रैल से ताड़ी की बिक्री शुरू होने के बाद मई, जून व जुलाई में यह चरम पर पहुंच जाती है। इससे देशी शराब बीयर की बिक्री आधी रह जाती है। शराब अनुज्ञापी मनोज पटेल बताते हैं कि देसी शराब का पउवा 75 रुपये में मिलता है जबकि ताड़ी 25 से 30 रुपये प्रति लीटर तक बिकती है। ग्रामीणों का आरोप है कि ऐसी ताड़ी पीने से लोग उल्टी, दस्त, चक्कर आना आदि से पीडि़त हो रहे हैं। जिससे लोगों में रोष व्याप्त है।
नशीली व मिलावटी ताड़ी के लती हो रहे ग्रामीण
