समृद्धि न्यूज। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले 10 प्रमुख रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। ये सभी प्रस्ताव खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) यानी स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। यह कदम न केवल सशस्त्र बलों की क्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती देगा।
देश की सेनाओं को और मजबूत करने के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 3 जुलाई को करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी दी है। यह खरीद पूरी तरह से देश में ही होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में बख्तरबंद रिकवरी वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, तीनों सेनाओं के लिए कॉमन इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की खरीद को हरी झंडी दी गई है। इससे सेनाओं की ताकत और ऑपरेशनल तैयारी बढ़ेगी।
इसके अलावा नौसेना की सुरक्षा के लिए समुद्र में बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंगें, माइन काउंटर मेजर वेसल्स, सुपर रैपिड गन माउंट और पानी के अंदर चलने वाली स्वायत्त नावों की भी खरीद होगी। इससे समुद्री और व्यापारिक जहाजों पर खतरा कम होगा।
ये रक्षा उपकरण खरीदे जाएंगे
बख्तरबंद रिकवरी वाहन: युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त टैंकों और भारी वाहनों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली: दुश्मन की रडार और संचार प्रणाली को निष्क्रिय करने की अत्याधुनिक तकनीक
एकीकृत कॉमन इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम: थल, वायु और नौसेना के बीच आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर और अधिक समन्वित बनाने के लिए
सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें: वायुसेना और नौसेना की हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए