लोक अदालत की मूल भावना में समाहित है लोक कल्याण की भावना-जिला जज

वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित किए गए कुल 58970 वाद

समृद्धि न्यूज़ अयोध्या। लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है।सुलह समझौता के दौरान सभी का मान,सम्मान बना रहे और सभी को न्याय मिले,इसका ध्यान रखा जाता है।शनिवार को यह बातें बतौर मुख्य अतिथि जिला जज रणंजय कुमार वर्मा ने कही।वे दीवानी न्यायालय परिसर में आयोजित वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे।श्री वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है।इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह-समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर और दोनों पक्षों की बातों को सुनकर यह निर्णय लेते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं? इसी को देखते हुए सुलह समझौता कराते थे और समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़ते थे।उन्होंने कहा कि सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश,मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी। लोक कल्याण के भावना से ओत प्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय तथा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल तथा एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित कराने के निर्देश दिये जाते हैं,जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित है।श्री वर्मा ने कहा कि लोग मिलजुल कर प्रेम भावना से रहे,जो समाज एवं राष्ट्र के हित में है।यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं,तो उसे शांत एवं सद्भाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए और यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए।उन्होंने बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त कलेक्ट्रेट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन जिला जय श्री वर्मा द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ जिसके बाद जिला जज श्री वर्मा के कर कमलों द्वारा वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया।इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में आने वाले दोनों पक्षों के बैठने,शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करायी गई है।उन्होंने बताया कि लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्ति के सुविधा का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि आज इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके।श्री वर्मा ने बताया की राष्ट्रीय लोक अदालत में धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.एक्ट), बैंक वसूली वाद,श्रम विवाद वाद, विद्युत एवं जलवाद बिल, (अशमनीय वादों को छोड़कर) अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एंव अन्य व्यवहार वाद,पारिवारिक विवाद,भूमि अधिग्रहण वाद,सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन,भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद,जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों,अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किये गये।अपर जिला जज/नोडल अधिकारी,राष्ट्रीय लोक अदालत नूरी अन्सार तथा प्राधिकरण सचिव श्री वर्मा अपने संयुक्त रूप से बताया कि शनिवार को आयोजित वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 58970 वादों को निस्तारित किया गया एवं कुल समझौता राशि 192480106 रुपए प्राप्त की गई है।इसमें पीठासीन अधिकारी (वर्चुअल कोर्ट) प्रत्युश आनंद मिश्रा ने अथक प्रयास करते हुए 21,326 वादों का निस्तारण किया।उनके द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन में अत्यंत सराहनीय कार्य किया गया है।मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण न्यायाधीश शेषमणि उपाध्याय द्वारा में कुल 116 केस निस्तारण हेतु नियत थे,जिसमें से कुल 96 वाद निस्तारित किये गये, जिस पर कुल 77679881 रुपए की धनराशि क्षतिपूर्ति निर्धारित की गयी।बैंक रिकवरी से संबन्धित 1384 प्री-लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये तथा बैंक संबन्धित ऋण 89977150 रूपए का सेटेलमेंट किया गया, जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक है।यह एलडीएम गणेश सिंह यादव द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम है।
पारिवारिक विवाद से सम्बन्धित 58 मुकदमों को निस्तारित किया गया है,जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित किये गये।संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों द्वारा 10178 वाद निस्तारित किया गया,जिसके एवज में कुल 11707833 रुपए का अर्थदण्ड अध्यारोपित किया गया जिसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा 2806 वाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम द्वारा 2028 वादों का निस्तारण किया गया एवं सिविल न्यायालय द्वारा कुल 83 मामलों का निस्तारण किया गया, जो विगत लोक अदालत की तुलना में अधिक वाद निस्तारित किया गया है।राजस्व मामलों से संबन्धित 26191 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित किए गए। राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन के अवसर पर राहुल कुमार कात्यायन,प्रधान न्यायाधीश,पारिवारिक न्यायालय,राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव-तृतीय, पीठासीन अधिकारी,कामर्शियल न्यायालय, अयोध्या,अल्पना सक्सेना,अपर प्रधान न्यायाधीश,पारिवारिक न्यायालय एवं अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनिल कुमार वर्मा व नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत नूरी अंसार अपर जनपद न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-द्वितीय व अन्य न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे।

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